DAR KE AAGE JEET HAI

भय का रोग1अधिकतर लोग डर के कारण मरते हैं। डर उन पर हावी हो जाता है और उन्हें मौत की तरफ धकेल देता है। डर की मौत यदि व्यक्ति कर दे तो वह सफल होकर दुनिया के लिए प्रेरक बन जाता है। निक वुजिसिक बिना हाथ-पैरों के इंसान हैं। जब वह थोड़े बड़े हुए तो स्वयं को अन्य लोगों से अलग पाकर बेहद डर गए। लोगों के व्यंग्य बाणों ने उन्हें डिप्रेशन का शिकार बनाना शुरू कर दिया। एक दिन उन्होंने सोचा कि वह लोगों से डर कर स्वयं को खत्म कर रहे हैं। बस इसके बाद से उन्होंने डर को मारना शुरू कर दिया। आज वह पूरे विश्व के सामने एक सफल लेखक, मोटीवेशनल वक्ता और सफल पिता के रूप में सामने आकर बता चुके हैं कि उन्होंने अपने डर की मौत कर दी है। वह अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘स्ट्रांग स्टैंड’ में कहते हैं कि मुङो विभिन्न देशों के अनेक व्यक्ति बता चुके हैं कि अलग-अलग डर के कारण वे आत्महत्या के प्रयास कर चुके हैं। मैंने उन्हें कहा कि, ‘आप डर की हत्या करें, अपनी नहीं। मुङो बिना हाथ-पैरों के देखकर वे अक्सर मेरी बात से सहमति जताकर अपने डर को मारने में कामयाब रहे हैं।’ जितने लंबे समय तक हम किसी अप्रिय कार्य को टालते रहते हैं, उतने ही लंबे समय में वह एक अनचाहे डर में बदल जाता है। यह डर कई बार व्यक्ति के लिए बेहद घातक साबित होता है। इसलिए जिस काम से आपको डर लग रहा हो उसे कर दें, डर अपने आप मर जाएगा।1डर के कारण व्यक्ति का दिमाग नकारात्मक बातों और कार्यो की ओर अग्रसर हो जाता है जिससे डर को विस्तार मिलता है। यही कारण है कि परीक्षा में असफल होने का डर, रोजगार न मिलने का डर और प्रेम में असफल होने का डर व्यक्तियों से अनेक अनुचित कार्य कराता है। इसमें आत्महत्या और दूसरे की जान लेने जैसे घृणित कार्य भी शामिल हैं। डर उस घातक बीमारी की तरह है जो धीरे-धीरे व्यक्ति के जीवन को खत्म कर देती है, इसलिए डर को दूर भगाने के लिए यह बहुत जरूरी है कि व्यक्ति उस काम को बार-बार करे और तैयारी के साथ करे जिससे डर लगता है। डरने वाले काम को कर दिया जाए तो डर की मौत निश्चित है। इसके साथ ही व्यक्ति यदि सकारात्मक विचारों के साथ डर का मुकाबला करे तो उसके अंदर हीनभाव और नकारात्मक विचार नहीं पनप पाते और डर मरने लगता है। अध्यात्म और सात्विक विचारों से परिपूर्ण व्यक्ति के पास व्यर्थ के डर नहीं पनपते।

Comments

Popular Posts