स्वामी विवेकानंद के चमत्कारिक संवाद।- Swami Vivekananda's wondrous dialogue

कुछ जिज्ञासा भरे प्रश्न जो नरेंद्र ने रामकृष्ण परमहंस से किये और उनके उत्तर के प्रकाश में नरेंद्र विवेकानंद बने। हम नरेंद्र के विषय में बहुत नहीं जानते उन्हें स्वामी विवेकानंद के रूप में ही जानते हैं। प्रस्तुत है ऐसा चमत्कारिक संवाद। 


स्वामी विवेकानंद: मुझे समय ही नहीं मिल पा रहा, जीवन व्यस्ततापूर्ण हो गया है। रामकृष्ण परमहंस: क्रियाकलाप तुम्हे व्यस्त बना रहे हैं, लेकिन उत्पादकता तुम्हें इससे आजादी दिलाएगी। 

स्वामी विवेकानंद: जीवन में जटिलताएं क्यों भर गई है ?
रामकृष्ण परमहंस: जेवण का विश्लेषण करना बंद करो। यही जटिलता का कारण है, इसे केवल जियो। 
स्वामी विवेकानंद: तब हम निरंतर नाखुश क्यों हैं ? 
रामकृष्ण परमहंस: फ़िक्र करना तुम्हारी आदत बन चुकी है इसीलिए तुम दुखी हो। 
स्वामी विवेकानंद: अच्छे लोग ही सदैव क्यों कष्ट उठाते हैं ? 
रामकृष्ण परमहंस: बिना घिसी के हीरा चमक नहीं सकता, आग में तपे बिना सोना निखर नहीं सकता। अच्छे लोग कसूती पर से गुजरते हैं अपितु कष्ट से नहीं। इन अनुभवों से उनका जीवन कटु नहीं बेहतर होता है। 
स्वामी विवेकानंद: क्या इसका मतलब यह है की ऐसे अनुभव उपयोगी है ?
रामकृष्ण परमहंस: हाँ , हर समय अनुभव एक सख्त शिक्षक है। पहले इसका स्वाद फिर शिक्षा मिलती है।  


स्वामी विवेकानंद: कई समस्याओं के रहते हम यह नहीं जान पाते हैं कि हम कहाँ ठीक कर रहे हैं ? 
रामकृष्ण परमहंस: जब तुम बहार देख रहे होते हो तब तुम्हें यह पता नहीं चलता की तुम कहाँ ठीक हो ? इसलिए अपने भीतर दखो। आँखे देख भर सकती है लेकिन दिमाग रास्ते बताएगा। 
स्वामी विवेकानंद: क्या असफलता सही रस्ते पर चलने से अधिक चोट पहुंचती है ?
रामकृष्ण परमहंस: सफलता का मापदंड दूसरों के द्वारा तय होता है वहीँ संतोष मिला की नहीं यह तुम तय करते हो। 
स्वामी विवेकानंद: कठिन घड़ियों में आप कैसे अभिप्रेरित यह पाते हो?
रामकृष्ण परमहंस: ऐसे में तुम्हे यह देखना है की तुम कितना रास्ता तय कर चुके हो इसके बजाय की तुम्हें और कितना जाना है। सदैव प्राप्त वरदानों को देखो यह नहीं कि तुमने क्या खोया है। 
स्वामी विवेकानंद: लोगों के विषय में आप क्या आश्चर्य जनक समझते हो ?
रामकृष्ण परमहंस: जब वे कष्ट पाते हैं तो पूछते है , मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ ?  लेकिन जब सफल होते हैं तो तब नहीं कहते कि मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ ?
स्वामी विवेकानंद: मैं जीवन में सबसे बेहतर कैसे प्राप्त कर सकता हूँ ?
रामकृष्ण परमहंस: अपने अतीत पर पछताओ मत, अपने वर्तमान को आत्मविश्वास से सम्हालो और भविष्य के लिए निर्भय हो कर खुद को तैयार करो। 
स्वामी विवेकानंद: कभी-कभी मुझे लगता है की मेरी प्रार्थना का उत्तर मुझे नहीं मिल रहा है। 
रामकृष्ण परमहंस: ऐसी कोई प्रार्थना नहीं होती जिसका उत्तर नहीं मिलता हो। भय छोडो और विश्वास करो। जीयन एक रहस्य है उसे उजागर करो, एक समस्या नहीं जिसे सुलझाया जावे। मुझ पर विश्वास करो। जीवन चमत्कारपूर्ण है, यह जानो की कैसे जिया जाय।  

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