गैस बीमारी नहीं, सिर्फ काउंसिलिंग की जरूरत और घरेलु उपचार--Gas disease, just need counseling and home remedies

गैस प्रॉब्लम, आजकल सामान्यजन में अत्यधिक पाए जाने वाली तकलीफ है। किसी भी मध्यमवर्गीय सामान्यजन में साधारण चर्चा रहती है कि वे से पीड़ित हैं। वाकई में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से गैस प्रॉब्लम एबोकेमीया गैस निकलना एक मानसिक बीमारी है। यह अत्यधिक तनाव या चिंता के कारण होती है या जल्दी में भोजन ग्रहण करने से हवा पेट में घुसकर जकड़ जाती है व बाद में डकार के जरिए मुँह या वायुविकार के रूप में निकलती है। वैज्ञानिक दृष्टि से अधिकतर सामान्यजन एसिड पेप्टिक या गेस्ट्रायटिस से पीड़ित रहते हैं व इसे साधारण रूप से गैस प्रॉब्लम कहते हैं। इसका मुख्य कारण है जल्दबाजी में भोजन करना, नियमित कसरतों से दूर रहना। 

शारीरिक रूप से कम काम करने वाले व मानसिक रूप से अधिक कार्य करने वाले लोग इससे अधिक प्रभावित होते हैं। इसी तरह अनियमित, अव्यवस्थित भोजन ग्रहण करने की शैली, बिना चबाए व अधिक तला पदार्थ, मसालेदार या कच्चा या अधपका भोजन करना भी इसके प्रमुख कारण हैं। मानसिक तनाव, धूम्रपान, मदिरापान व दर्दनिवारक दवाई का निवमित व अत्यधिक सेवन भी एसिड पेप्टिक डिसीज उत्पन्न करने में सहायक होता है। इसे तुरंत रोका नहीं जाए तो गेस्टिक अल्सर, ड्यूडिनय अल्सर या कैंसर जैसी तकलीफ में बदलते देर नहीं लगती। 

रोग के लक्षण 
इस बीमारी के कई लक्षण हैं। लक्षण बदलते रहने से व बीच-बीच में स्वस्थ रहने से इस बीमारी के इलाज में लापरवाही बरती जाती है। बाद में इस रोग से होने वाले खतरों में पड़ जाता है। जिसमें गेस्टिक या ड्यूडिनय अल्सर से रक्तस्राव या कैंसर में परिवर्तित होने वाले जोखिम शामिल हैं। 

इसमें पेट के बीचो-बीच दर्द होता है। इसे इवीगेस्टिक क्षेत्र कहते हैं। यह दर्द अलग प्रकार से पीछे या प‍ीठ में भी फैलता है। इसकी तीव्रता भोजन लेने से कम हो जाती है। गेस्टिक अल्सर में भोजन के एक-दो घंटे बाद दर्द बढ़ता है। इसके अलावा पेट में जलन, सीने में दर्द, कमजोरी आदि लक्षण भी दिखते हैं। 

अत: साधारणतया गैस प्रॉब्लम को नजरअंदाज ना कर इसकी तह में जाना जरूरी होता है। सोनोग्राफी, सीटी स्केन, एंडोस्कोपी, लेप्रोस्कोपी, कोलोवोस्कोपी, बेरीयमीम, या बेरीयक एनिमा जैसी जाँच करवा कर इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। 

सावधानियाँ 
अत्यधिक तनाव में न रहें।
भोजन शांति से समय पर एवं चबाकर ग्रहण करें।
भोजन का अंतराल नियमित रखें।
अधिक भूखे न रहें व बार-बार भी न खाएँ।
मिर्च-मसाले के अत्यधिक सेवन से परहेज करें।
हरी सब्जी व फल (फायबर डाइट) प्रचुर मात्रा में लें।
मांसाहार न लें।
दर्दनिवारक या अन्य प्रकार की दवाई डॉक्टरी सलाह के बगैर न लें।
तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट व अल्कोहल का त्याग करें।
इस तरह आप स्वस्थ रहकर गैस प्रॉब्लम से दूर रह सकते हैं।


अगर आज के समय में कहा जाए की गैस ही सबसे बड़ी बीमारी और घर घर की बीमारी है तो कहना गलत नहीं होगा। यह भी कह सकते हैं की सभी बड़ी बीमारियाँ गैस से ही शुरू होती हैं। कुछ विशेषज्ञ यह भी कह सकते हैं कि अगर पेट में गैस ना हो तो सभी बीमारियों पर आसानी से विजय पायी जा सकती है। सीधा सा फार्मूला है; पेट में गैस का मतलब है लीवर में कमी, लीवर में कमी का मतलब है खून की कमी, खून की कमी का मतलब है बीमारियों से लड़ने की क्षमता में कमी, बीमारियों से लड़ने की क्षमता में कमी का मतलब है बड़ी बीमारियों को दावत देना और यह सब होता है सिर्फ पेट में गैस के कारण।
क्या है गैस
गैस प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में बनती है। यह शरीर से बाहर डकार द्वारा या गूदा मार्ग के द्वारा निकलती है। अधिकतर लोगों के शरीर में 1-4 पिंट्स गैस उत्पन्न होती है और एक दिन में कम से कम 14-23 बार गैस पास करते हैं। ऐसे लोग जिनकी पाचन शक्ति अक्सर खराब रहती है और जो प्रायः कब्ज के शिकार रहते हैं, उनमे गैस की समस्या अधिक होती है।
क्यूँ बढ़ रही है गैस की समस्या
अक्सर देखा जाता है कि चलते फिरते और हार्ड वर्क करने वालों के शरीर में गैस कम बनती है लेकिन ऐसे लोग जिनकी सक्रियता कम रहती है या जो अधिक समय तक बैठे रहते हैं उनके पेट में गैस अधिक मात्रा में बनती है। दूसरा कारण यह भी है कि आजकल लोगों की खान पान की आदतें बिगडती जा रही हैं। आजकल के लोगों में चबा चबा कर पोषक भोजन करने के बजाय जल्दी जल्दी से खाया जाने वाला जंक फूड या फ़ास्ट फूड अधिक पसंद है। यही वजह है कि आजकल बच्चे से लेकर बूढ़े, सभी लोग गैस की समस्या से अधिक परेशान रहते हैं। ज्यादा समय तक रहने वाली गैस की समस्या अल्सर में भी बदल सकती है।
क्यूँ बनती है गैस
हमारे शरीर के पाचनतंत्र में गैस दो तरीके से आती है।
1. निगली गयी हवा द्वारा
कभी कभी कुछ लोग अंजाने में हवा निगल लेते हैं जिसे चिकित्सा की भाषा में एरोफैगिया कहते हैं। यह भी पेट में गैस का प्रमुख कारण है। हर कोई थोड़ी मात्रा में कुछ खाते और कुछ पीते समय हवा निगल लेता है। हालाँकि जल्दी जल्दी खाने या पीने, च्युंगम चबाने, धूम्रपान करने से कुछ लोग ज्यादा हवा अन्दर ले लेते हैं, जिसमें नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और कार्बन डाई ऑक्साइड होती है। कुछ हवा तो डकार के द्वारा बाहर निकल जाती है। बची हुई हवा आंत में चली जाती है जहाँ इसकी कुछ मात्रा अवशोषित हो जाती है। बची हुई थोड़ी सी गैस यहाँ से बड़ी आंत में चली जाती है जो गूदा मार्ग द्वारा बाहर निकलती है। पेट में थोड़ी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड भी बनती है, लेकिन यह अवशोषित हो जाती है और बड़ी आंत में प्रवेश नहीं करती है।
2. अनपचे भोजन का टूटना
हमारा शरीर कुछ कार्बोहाइड्रेट को ना तो पचा पाटा है और ना ही अवशोषित कर पाता है। छोटी आंत में कुछ निश्चित एंजाइमों की कमी या अनुपस्थिति से इनका पाचन नहीं हो पाता। यह अनपचा भोजन जब छोटी आंत से बड़ी आंत में आता है तो बैक्टीरिया के द्वारा किण्वन की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है जिसमे गैस बनती है। उम्र बढ़ने के साथ शरीर में एंजाइमों का स्तर कम हो जाता है इसलिए बढती उम्र के साथ साथ गैस की समस्या भी बढ़ती जाती है।
गैस के लक्षण और समस्याएँ
पेट में गैस बनने के सबसे आम लक्षण हैं:
  • पेट फूल जाना
  • पेट में दर्द होना
  • डकार आना और गैस पास करना
  • अत्यधिक गैस पास होना
  • गूदा मार्ग से बदबूदार गैस निकलना
  • जीभ पर सफ़ेद परत जमा हो जाना
  • सांस में बदबू आना
  • मल में बदबू आना
  • दस्त लगना
  • कब्ज होना
भोजन जिससे अधिक गैस बनती है
  • सब्जियां जैसे ब्रोकली, पत्तागोभी, फूलगोभी और प्याज
  • मैदे से बने खाद्य पदार्थ, दूध और दूध से बने उत्पाद
  • मीट और अंडा
  • डिब्बाबंद भोजन
  • फ़ास्ट फूड, सॉफ्ट ड्रिंक
  • बाजार की खुली चीजें
  • अधिक तली, भुनी चीजें
  • अधिक प्रोटीन और हार्ड कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थ
गैस से बचने के उपाय
  • कार्बोनेटेड ड्रिंक और वाइन ना पियें, क्यूंकि यह कार्बन डाई ऑक्साइड रिलीज करते हैं।
  • पाइप के द्वारा कोई चीज ना पियें, सीधे गिलास से पियें।
  • अधिक तले भुने और मसालेदार भोजन से बचें या कम खाएं।
  • तनाव भी गैस बनने का मुख्य कारण है इसलिए तनाव से बचें।
  • कब्ज भी गैस बनने का एक प्रमुख कारण है इसलिए जितने लम्बे समय तक भोजन बड़ी आंत में रहेगा, उतनी अधिक मात्रा में गैस बनेगी।
  • भोजन को धीरे धीरे चबाकर खाएं, दिन में तीन बार पूरा भोजन करने के बजाय, कुछ घंटों के अंतराल पर थोडा थोडा खाएं।
  • खाने के तुरंत बाद ना सोयें, थोड़ी देर टहलें। इससे पाचन भी सही रहेगा और पेट भी नहीं फूलेगा।
  • खाने पीने के समय को निर्धारित करें, एक निश्चित समय पर ही भोजन खाएं।
  • अगर मेहनत कम करते हों तो अधिक कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन कम खाएं और प्रोटीन वाले भोजन अधिक लें।
  • अपने शरीर को समझें, अगर दूध से एलर्जी होती हो तो दूध और दूध से बने पदार्थ ना लें।
  • मौसमी फल और सब्जियों का सेवन अधिक से अधिक मात्रा में करें।
  • खाना पकाते समय मसालों जैसे, सरसों, इलाइची, जीरा और हल्दी का उपयोग अधिक करें, इससे गैस कम मात्रा में बनती है।
  • संतुलित और घर का भोजन करें, जंक फूड, फ़ास्ट फूड और खुले में बने फूड से बचें।
  • शरीर को शक्रिय रखें, कसरत और योगा करें, पैदल चलने की आदत डालें।
  • धूम्रपान और शराब से दूर रहें।
  • अपने भोजन में अधिक से अधिक रेशेदार भोजन को शामिल करें।
  • सर्वांगसन, उत्तानपादासन, भुजंगासन, प्राणायाम आदि योगासन करने से गैस की समस्या ख़त्म हो जाती है।
सबसे काम की बात: अगर कर सकते हों तो सुबह उठने के बाद तीन चार गिलास पानी पियें और उसे उल्टी करके वापस निकाल दें। हो सकता है कुछ दिन परेशानी हो लेकिन एक बार आदत पड़ने के बाद रोज करने से ताउम्र गैस से छुटकारा पाया जा सकता है।
 जीवनशैली में लायें बदलाव
  • ज्यादा देर तक कुर्सी पर बैठकर काम करने वालों को गैस की समस्या अधिक होती है ऐसे लोगों को हर घंटे के बाद कुर्सी से उठकर थोडा टहलना चाहिए।
  • दोपहर का खाना खाने के बाद कुछ देर टहल लें।
  • लिफ्ट के बजाय सीढ़ियों का उपयोग करें।
  • खाने के बाद नींबू पानी या फल खासकर पपीता जरूर खाएं।
  • खाने के तुरंत बाद ज्यादा पानी ना पीयें, आधे या एक घंटे बाद ही पानी पीयें। भोजन के दौरान प्यास से बचने के लिए एक आधे घंटे बाद ही पानी पी लें।
  • ग्रीन टी का जरूर इस्तेमाल करें।
रोकथाम और घरेलु उपचार

  • लहसुन पाचन की प्रक्रिया को बढाता है और गैस की समस्या को कम करता है।
  • अपने भोजन में दही को शामिल करें।
  • नारियल पानी भी गैस की समस्या में काफी प्रभावशाली है।
  • अदरक में पाचक एंजाइम होते हैं। खाने के बाद अदरक के टुकड़ों को नीबू के रस में डुबोकर खाएं।
  • अगर आप लम्बे समस्य तक गैस की बीमारी से पीड़ित है तो लहसुन की तीन कलियाँ और अदरक के कुछ टुकडें सुबह खाली पेट खाएं।
  • प्रतिदिन खाने के समय टमाटर या सलाद खाएं, टमाटर में सेंधा नमक मिलाकर खाने से अधिक लाभ मिलता है।
  • पोदीना भी पाचन तंत्र में अधिक लाभकारी है।
  • इलाइची के पाउडर को एक गिलास पानी में उबाल लें। इसको खाना खाने के बाद गुनगुने रूप में पी लें, गैस से लाभ मिलेगा।

Treatment of Gas Problems in Hindi | गैस रोगों का उपचार

गैस रोगों का उपचार - Treatment of Gas diseases

मानव के शरीर का अस्वस्थ होना ज्यादातर गैस की बीमारी सेहोता है  गैस की बीमारी  आधे से ज्यादा इंसानों में पाई जातीहै  गैस से पीड़ित इंसानों के शरीर में कई प्रकार की बीमारीउत्पन होने लगती है  जैसे :- सिर में दर्द , जि मचलना , पेटका फूलना , पैरों में दर्द और भी कई प्रकार के  रोग गैस होनेकी वजह से हो जाते है  इसलिए मानव को गैस रोग काइलाज करना बहुत ही जरूरी है  इसका इलाज हम घर में रखीवस्तुओं से आसानी से कर सकते है  और गैस की शिकायतको दूर कर सकते है 

गैस का सौंफ से उपचार :-  Gas treatment Fennel

सामान मात्रा में नींबू का रस निकालकर इसमें सौंफ डालकरभीगो कर रख दे  इस भीगी हुई सौंफ को खाना खाने के बादसुबह शाम खाने से गैस की शिकायत दूर हो जाती है 

गैस का नमक के द्वारा इलाज :- Gas treatment by Epsom salts

सैंधा नमक    -   चम्मच 
बूरा          -  चम्मच
देसी घी       -  चम्मच

सैंधा नमक और बूरा इन दोनों को मिलाकर महीन करके चूर्णसा तैयार कर ले  इस तैयार चूर्ण को देसी घी में मिलाकरसुबह - शाम खाए  ये क्रिया रोजाना एक महीने तक करने सेगैस की बीमारी ठीक हो जाती है 
Gas ki bimari ka ilaj , cure acidity

सेब से गैस का इलाज :- Apple treat gas

सेब एक ऐसा फल है  जो हमारे शरीर को अस्वस्थ होने सेबचाता है  तथा सेब का रस तो और भी लाभदायक होता है सेब का रस हमारे शरीर के पाचन हिस्सों पर एक हल्की सीपरत बना देता है  यह परत  मनुष्य के शरीर में गैस बनने सेरोकती है | और मनुष्य स्वस्थ रहने लगता है  इसलिए गैससे पीड़ित व्यक्तियों के लिए सेब का रस बहुत ही लाभकारी होताहै  तथा ज्यादातर इस रोग से ग्रसित व्यक्तियों को सेब का रसरोजाना एक गिलास अवश्य पीना चाहिए |

काली मिर्च से गैस का उपचार :- Pepper for gas treatment

गैस रोग को दूर करने के लिए कम से कम १० काली मिर्च कोबारीक़ पीसकर तथा पानी को हल्का गर्म करके इस गर्म पानीसे पीसी हुई काली मिर्च को सुबह - शाम खाने से यह गैस रोगदूर हो जाता है 

गैस का हींग के द्वारा इलाज :- Gas treatment by asafetida

गैस की बीमारी को खत्म करने के लिए हींग का उपयोग बहुतही फायदेमंद होता है  इसलिए हींग का उपयोग रोजाना करनेसे गैस की शिकायत नही होती है  हींग का उपयोग सब्जी यादाल बनाते समय किया जा सकता है  या फिर इसका उपयोगपानी के साथ फंकी लगाकर किया जा सकता है | हींग काउपयोग करने से गैस की शिकायत तो दूर होती है  बल्किकब्ज भी नही होता है 
Treatment of Gas Problems in Hindi , गैस रोगों का उपचार

लौंग से गैस का उपचार :- Cloves for gas treatment

लौंग एक ऐसी वस्तु है जो आसानी से हर जगह पर मिल जातीहै  इसलिए लौंग का उपयोग गैस को बनने से रोकने के लिएअधिक फायदेमंद होता है |  पाँच लौंग को पीसकर चूर्ण तैयारकर ले  सबसे पहले थोड़ा सा पानी लेकर उबलने के लिए रखदे  तथा पानी को उबालते समय इस पानी में तैयार चूर्ण कोडालें और पानी को ठंडा होने के लिए रख दे  जब ये पानी ठंडाहो जाये तब इस पानी को पी ले  इसी विधि को रोजाना करनेसे गैस की बीमारी से मुक्ति मिल जाती है  और गैस भी नहीबनती है |

गैस का उपचार अजवायन से :- Treatment of gas from parsley

  अजवायन  -  ग्राम
  काला नमक -  ग्राम

इन दोनों को बारीक़ पीसकर महीन चूर्ण बना ले  इसी चूर्ण कोप्रातकाल ताजे पानी के साथ खाने से गैस रोग ठीक हो जाता हैगैस रोग को ठीक करने के लिए एक और उपचार इस प्रकारहै 

अदरक - Garlic for Gas problems

अदरक  -----------       -  ग्राम
काला नमक पिसा हुआ   - / चम्मच
नींबू का रस   ---------   -  चम्मच

इन तीनों को अच्छी तरह से मिलाकर भोजन करने के बादइसका सेवन करे  ऐसा करने से गैस रोग से मुक्ति मिल जातीहै 

खेत में काम करने वाले मजदूर से लेकर बड़े पदाधिकारी वर्तमान में गैस की शिकायत करते हैं। गैस राष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित हो गया है। जबकि मेडिकल में गैस की कोई पढ़ाई नहीं होती। यह पूरी तरह से काल्पनिक और मानसिक बीमारी है। डॉक्टर भी गैस शब्द सुनते ही दो तीन दवा लिख देते हैं। क्योंकि मरीज को विस्तार से सुनने का उनके पास समय नहीं होता या मरीज को समझाने का उनके पास भाषा नहीं होती। यह पता करना जरूरी नहीं समझते कि उसका कारण क्या है। मरीज की बीमारी क्या है जिसके चलते वह गैस की शिकायत कर रहा है। मरीज की काउंसिलिंग ठीक से कर दी जाय तो काफी हद तक यह शिकायत दूर हो जाएगी। इसके लिए पता नहीं कितने रुपए की दवा लोग खा जाते हैं। जेब में दवा लेकर चलते हैं। 

गैस को कुछ इस तरह बयां करते हैं। जैसे डकार आयी तो गैस, पेट फूल गया तो गैस, हवा बंद तो गैस, हवा निकला तो गैस, भूख नहीं लगी तो गैस, चक्कर आया तो गैस, सिर दर्द तो गैस, सीने में दर्द तो गैस, नस फड़फड़ाया तो गैस, पेट साफ नहीं हुआ तो गैस। गैस की इतनी परिभाषा हो गई है कि क्या बताया जाय। यह सही है कि पेट में गड़बड़ी है तो गैस की समस्या है। पर उस गड़बड़ी की सही पहचान और इलाज जरूरी है। कोलाइटिस, एमिबियोसीस, हाइपर एसिडिटी आदि की शिकायत पर यह समस्या सकती है। इसका इलाज होना चाहिए कि गैस का। चिकित्सकों को काउंसिलिंग करना चाहिए और सही बीमारी का पता किया जाना चाहिए।





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