"अन्तर्मुखी सदा सुखी"-"Introvert happy"

जीवन में जटिलता मत खोजो। अपनी दृष्टि सिर्फ़ एक दिशा में रखो। संस्कृत में एक कहावत है, "अन्तर्मुखी सदा सुखी"। यदि मनुष्य के मन की दृष्टि भीतर की ओर रहे तो वह सदा सुखी रहे। जटिल क्या है?- लोगों का मन! लोग अपने मन से परेशान रहते हैं, पर तुम क्यों उनकी परेशानी मोल लेना चाहते हो?
यदि कोई बीमार है तो सब डाक्टर तो उसके साथ बीमार होने में शामिल नहीं होते ना। तुम भी अपने आप को डाक्टर ही जानो और अपना ध्यान वहीं पर रखो। लोगों में परेशानियाँ हैं पर वे कम होंगी,  धैर्य व करुणा रखो।

मैं इस विषय पर बोलने का अधिकारी तो नहीं हूँ पर मेरा विचार यह होगा कि तुम उन लोगों का परामर्श क्यों नहीं लेते जो खुशहाल दम्पत्ति हैं?
किसी ने कहा है दम्पत्ति के लिये!
शादी से पहले -  एक दूसरे के लिए पागल।
और कुछ समय बाद - एक दूसरे की वजह से पागल!

मेरे विचारानुसार विवाह धैर्य, त्याग, एक दूसरे के प्रति ध्यान, सहानुभूति रखने की एक विधि व सम्बंध है। यदि एक दुखी हो तो दूसरे को उसी समय दुखी नहीं होना चाहिए। उसे अपनी बारी के लिए प्रतीक्षा करनी चाहिये! दोनों एक ही समय पर दुखी होंगे तो मुश्किल होगी! हाँ, बच्चों के सामने अवश्य ही सही व्यव्हार होना चाहिये।

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