प्रश्न : मैं पारिवारिक रिश्तों को कैसे सुधार सकता हूँ?


श्री  : पारिवारिक रिश्तों को सुधारने के लिएउन्हें सुधारने की कोशिश मत करो|ग़लतफ़हमी को सुधारने की कोशिश मत करोउसको नज़रंदाज़ कर दोसमझाओ और छोड़ दो,आगे बढ जाओकुरेदने मत बैठ जाओ, "तुमने ऐसा क्यों कियाक्यों कहातुम मुझे प्यार नहींकरतेये सब कचरा समय की बर्बादी हैहम इतने भावनात्मक कचरे में डूबते जाते हैंहमें उन सबको बाहर फ़ेंक देना चाहिए और एकदम उत्साह रखना चाहिएपूर्ण उत्साह से आगे बढ़ना चाहिए|अगर किसी में उत्साह की कमी दिखे तो उसमें उत्साह जगाओलोगो से शिकायतें मत करोउनसेसफाई मत मांगोपारिवारिक रिश्ते को सुधारने के लिए आपको  काम करने होंगे कोईशिकायत  कोई सफाईबससमझे!
लोगों से सफाई माँगना एक बेवकूफी है और लोगों को सफाई देना कि जिससे वो आपकी बात समझसकेंएक और बेवकूफी हैये दोनों ही तरीके काम नहीं करतेसबसे अच्छा तरीका है कि बस आगेबढ़ो

प्रश्न : असली सेवा क्या है? मेरा हर कर्म सेवा कैसे बन सकता है?
श्री  : सेवा मतलब, उसकी तरह करनाउसकी अर्थात सृष्टि का निर्माता| वह आपके लिए सब कुछ करता है और बदले में आपसे कुछ भी नहीं चाहता| इसलिए, आपसे जितना हो सके, वो करना  और बदले में कुछ भी न चाहना  इसी को सेवा कहते हैं|
हाँ, उसका फल निश्चित ही मिलता है| लेकिन जब आप उसके फल की इच्छा कर रहे होते हैं, तब वह सेवा नहीं रह जाता| बिना कुछ उम्मीद किये, बिना कुछ चाहे, सिर्फ कुछ करने के लिए जो किया जाए  वही सेवा है|


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