One of them managed to survive life in the world and that people remember.//.दुनिया जीवित और उनमें भी कामयाब जिंदगी जी रहे लोगों को ही याद करती है।

यही कोई दोपहर बाद की बेला थी। एक तितली कमरे में फंसी हुई थी। कांच की लंबी-लंबी खिड़कियों से उसे रोशनी नजर आती, तो बाहर निकलने के लिए भागने की कोशिश करती। लेकिन उसके नरम और नाजुक पंख पारदर्शी कांच से टकराते, और वह अटक कर रह जाती। क्योंकि जिसे वह खुला द्वार समझ रही थी, बाहर छिटकी हरियाली तक पहुंचने का रास्ता समझ रही थी, वह कठोर कांच का एक पारदर्शी टुकड़ा था।
बाहर निकलने को व्याकुल तितली की जिंदगी की घुटन बढ़ने लगी। छोटा दिमाग, छोटी-सी जिंदगी। हां, तितली का दिमाग बड़ा ही छोटा होता है। लगता है, जैसे प्रकृति ने उसे मूर्खों की तरह छोटी जिंदगी ही जी पाने का शाप दे रखा हो। लेकिन उसी प्रकृति ने तितली को ऐसी आंखें दे रखी हैं कि वह एक साथ हर दिशा में देख सकती हैं।
तितली को कांच की खिड़कियों को बीच में सरका देने के बाद दोनों किनारों पर मौजूद खुला रास्ता नहीं दिखा। उसे कमरे का खुला दरवाजा भी नहीं दिखा। कांच की खिड़कियों के पीछे बालकनी में खिले गुड़हल, सोनटक्का, गुलाब और सदाफूली के फूल उसे रिझाते रहे। लेकिन वह कांच की बमुश्किल आधा इंच मोटी दीवार से टकराकर गिरती रही। सुस्त पड़ी, शांत हुई, और मर गई। सुबह घर की मालकिन ने झाड़ू से उठाकर उसे कूड़ेदान में डाल दिया। कोई दया नहीं। कोई सहानुभूति नहीं।
बालकनी और उसके बाहर तमाम फूल पहले की तरह खिलते रहे। खुशबू बिखेर सबको आने का न्योता भेजते रहे। लेकिन वह तितली आई कि नहीं, इसका उन्हें पता भी नहीं चला, क्योंकि दुनिया जीवित और उनमें भी कामयाब जिंदगी जी रहे लोगों को ही याद करती है।
नीतिकथा
दुनिया जीवित और उनमें भी कामयाब जिंदगी जी रहे लोगों को ही याद करती है।

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