अहंकार से हमेशा बचना चाहिए

ins-21/08/2014
एक मूर्तिकार उच्च कोटि की ऐसी मूर्तियां बनाता था, जो सजीव लगती थीं। मूर्तिकार को अपनी कला पर बड़ा नाज था। उसे कई साल हो गए थे मूर्तियां बनाते हुए। उसकी कला दिनों-दिन निखरती गई थी। बरसों बीत गए। कलाकार बूढ़ा होने लगा। उसे जब लगा कि जल्दी ही उसकी मृत्यु होने वाली है, तो वह परेशान हो उठा। उसे चिंता होने लगी कि मौत से कैसे बचा जाए। आखिर उसे उपाय सूझ ही गया। यमदूतों को भ्रमित करने के लिए उसने एकदम अपने जैसी दस मूर्तियां बना डालीं। उसने यह सोचा कि जब यमदूत आएंगे, तो योजनानुसार बनाई गई उन मूर्तियों के बीच में वह स्वयं जाकर बैठ जाएगा।
यमदूत जब उसे लेने आए, तो एक जैसी ग्यारह आकृतियां देखकर अचंभित रह गए। सभी मूर्तियां एक जैसी बनी थीं, और वह कलाकार जिसे यमदूत लेने आए थे, वह भी उन मूर्तियों के बीच ही था। पर उसे खोज पाना यमदूतों के लिए मुश्किल हो रहा था। यमदूत सोचने लगे, अब क्या किया जाए। मूर्तिकार के प्राण अगर न ले सके, तो सृष्टि का नियम टूट जाएगा, और अगर सच्चाई जानने के लिए मूर्तियां तोड़ी गईं, तो कला का अपमान होगा।
अचानक एक यमदूत को कुछ सूझा। वह अनुभवी और पारखी था। उसने जोर-से कहा, काश, इन मूर्तियों को बनाने वाला मिलता, तो मैं उसे बताता कि मूर्तियां तो अति सुंदर बनाई हैं, लेकिन इनको बनाने में एक त्रुटि रह गई। यह सुनकर मूर्तिकार का अहंकार जाग उठा। उसे लगा कि भला उसकी कला में कमी कैसे रह सकती है! वह तुरंत बोल उठा, कैसी त्रुटि?
यमदूत ने झट से उसका हाथ पकड़ लिया और बोला, बस यही त्रुटि कर गए तुम अहंकार में। क्या हम जानते नहीं कि बेजान मूर्तियां बोला नहीं करतीं।
ओशो
अहंकार से हमेशा बचना चाहिए, क्योंकि अहंकारी व्यक्ति स्वयं का ही नाश कर बैठता है।बस एक चूक ने मूर्तिकार को बेजान बना दिया

sk

Comments

Popular Posts