Think about the problems, the suffering will be. Remove from Unhne mind.समस्याओं के बारे में सोचेंगे, तो पीड़ा होने लगेगी। उन्हं दिमाग से निकाल दें।

ins-15072014

स्वामी रामतीर्थ ने जापान में प्रवचन शुरू करने से पहले हाथ में पानी से भरा एक गिलास पकड़ा और साधकों से पूछा, आपके हिसाब से गिलास का वजन कितना होगा?
साधकों में से किसी ने पचास ग्राम, किसी ने सौ, तो किसी ने सवा सौ ग्राम वजन बताया। उनके उत्तर सुनकर स्वामी जी ने कहा, जब तक इसका वजन न कर लूं, तब तक सही वजन नहीं बता सकता। पर यदि मैं इस गिलास को थोड़ी देर तक इसी तरह पकड़े रहूं, तो क्या होगा?
कुछ नहीं, साधकों ने कहा। स्वामी रामतीर्थ ने फिर पूछा, अच्छा, अगर मैं इसे इसी तरह एक घंटे तक उठाए रहूं, तो क्या होगा?
आपका हाथ दर्द करने लगेगा, एक छात्र ने कहा। इस पर वह बोले, तुम सही हो। अगर मैं इसे इसी तरह पूरे दिन उठाए रहूं, तो क्या होगा?
सुनकर लगभग सभी साधकों ने एक ही बात दोहराई, आपका हाथ सुन्न हो सकता है। आपकी पेशियों में भारी तनाव आ सकता है, लकवा मार सकता है। यह भी हो सकता है कि आपको अस्पताल जाना पड़े। कुछ छात्र इस बात पर हंस पड़े। उनकी बातों पर ज्यादा गौर किए बिना स्वामी जी ने पूछा, बहुत अच्छा, पर इस दौरान गिलास का वजन बदलेगा क्या?
उत्तर आया, नहीं। स्वामी रामतीर्थ का अगला सवाल था, तब भला हाथ में दर्द और मांसपेशियों में तनाव क्यों आएगा?
छात्र अचरज में पड़ गए। स्वामी जी ने पूछा, दर्द से निजात के लिए क्या करेंं?
गिलास को नीचे रख दीजिए! एक छात्र ने कहा। स्वामीजी ने कहा, बिलकुल सही! जिंदगी भी कुछ इसी तरह होती है। समस्याएं आती हैं। उनके बारे में ज्यादा देर सोचिए, तो आपको पीड़ा होने लगेगी। और इन्हें देर तक दिमाग में रखिए, तो ये थकाने लगेंगी।

मतलब अंतर्यात्रा
समस्याओं के बारे में सोचेंगे, तो पीड़ा होने लगेगी। उन्हंे दिमाग से
निकाल दें।

sk

Comments

Popular Posts