Survivors fear of death Enlightenment-मौत के भय से बचने वाला आत्मज्ञानी

INS/072014-2

Survivors fear of death Enlightenment-मौत के भय से बचने वाला आत्मज्ञानी

पद्म पुराण में कहा गया है, जो जन्म लेता है, उसकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए मृत्यु से भयभीत होने की जगह सत्कर्मों के माध्यम से मरण को शुभ बनाने के प्रयास करने चाहिए।- एक मछुआरा समुद्र से मछलियां पकड़ता और उन्हें बेचकर अपनी जीविका चलाता था। एक दिन एक वणिक उसके पास आकर बैठा। उसने पूछा, मित्र, क्या तुम्हारे पिता हैं?
उसने जवाब दिया, नहीं, उन्हें समुद्र की एक बड़ी मछली निगल गई। उसने फिर पूछा, और तुम्हारा बड़ा भाई? मछुआरे ने जवाब दिया, नौका डूब जाने के कारण वह समुद्र में समा गया। वणिक ने फिर पूछा, दादाजी और चाचाजी की मृत्यु कैसे हुई? मछुआरे ने बताया कि वे भी समुद्र में लीन हो गए थे। वणिक ने यह सुना, तो बोला, मित्र, यह समुद्र तुम्हारे विनाश का कारण है, बावजूद इसके जाल डालते हो। क्या तुम्हें मरने का भय नहीं है?
मछुआरा बोला, भैया, मौत जिस दिन आनी होगी, आएगी ही। तुम्हारे दादा, परदादा, पिता में से शायद ही कोई समुद्र तक आया होगा। फिर भी वे सब चल बसे। मौत कब और कैसे आती है, यह आज तक कोई भी नहीं समझ सका है। फिर मैं बेकार ही मौत से क्यों डरूं?
भगवान महावीर ने कहा था, नाणागमो मंच्चुमुहस्य अत्थि यानी मृत्यु किसी भी द्वार से आ सकती है, इसलिए आत्मज्ञानी ही मौत के भय से बचा रह सकता है।

मौत के भय से बचनेवाला आत्मज्ञानी


मौत से भयभीत होने की जगह सत्कर्मों के माध्यम से मृत्यु को शुभ बनाने के प्रयास करने चाहिए।

SK

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