मेहनत क्रोध के साथ

थोड़ी सी मेहनत क्रोध के साथ
क्रोध एक सामान्य और स्वस्थ भावना है। मनोवैज्ञानिकों के विचार से क्रोध एक तरह से क्षुब्ध भावनाओं का क्षय है। अन्तः मन में दबे विचार क्रोध के जरिए बाहर निकल आते हैं।
क्रोध की उर्जा को सही तरीके से सही जगह पर उपयोग आना चाहिए। कहना बहुत आसान है, लेकिन इस उर्जा का सही उपयोग करना भी आना चाहिए। पहली बात तो यह कि क्रोध का जन्म दुख या व्यथा से होता है। आस पास की परिस्थितियां भी कारण होता है। उन परिस्थितयों को बदला नहीं जा सकता। कोशिश की जाए तो बदल भी सकते हैं।
एक आदत अपना लें - गुस्सा आने पर चुप रहने का अभ्‍यास करें। इस अभ्यास के बाद धीरे धीरे सोच समझ कर बोलने की आदत हो जाएगी। जब भी क्रोध आए तो उस स्थान से हट जाएं या कोई काम करने लगें जिसमें शारीरिक श्रम करना पड़ता हो।
माफी एक शक्तिशाली उपकरण है। हर कोई आप के अनुरूप ही व्यवहार करे। मंत्रों मे बड़ी शक्ति होती है। क्रोध शांति का ये मंत्र आप को अवश्य लाभ पहुंचाएगा : ओम शांते प्रशान्ते मम क्रोध पश् नीन स्वाहा। इस मंत्र को पढ़ने के बाद थोड़े से पानी मे फूंक मारें - ऐसा 21 बार दोहराएं। और फिर इस पानी को पी जाएं। आपका क्रोध धीरे शांत हो जाएगा।

Comments

Popular Posts