Panchsheel Pancratnon are equivalent-पंचशील पंचरत्नों के समकक्ष हैं।

INS/15-05-2014

अपने परिवार में पंचशीलों का समावेश करें। ये पंचशील पंचरत्नों के समकक्ष हैं। 

इनमें पहला है- श्रमशीलता या मेहनतकश होना। परिवार के हर सदस्य को परिश्रमशील होना चाहिए।

दूसरी बात पंचशीलों में सुव्यवस्था से संबंधित है। इस में सफाई और सुसज्जा भी शामिल है। हर चीज को यथास्थान रखा जाए। अस्त-व्यस्त, यहां-वहां पड़ी हुई चीजें अव्यवस्था फैलाती हैं। सुव्यवस्था हर चीज में हो। समय का सुव्यवस्थित ढंग से समायोजन करना, खान-पान की सुव्यवस्था, टाइम-टेबल की सुव्यवस्था, चीजें रखने से संबंधित और सफाई की सुव्यवस्था। यह भी देखें कि घर वालों की दिनचर्या भी सुव्यवस्थित है या नहीं।

तीसरा गुण शालीनता, शराफत या भलमनसाहत है। जो आदमी आप के विरोधी हैं या जो नुकसान पहुंचाते हैं, उनके समक्ष अपनी बात रखें जरूर, परंतु अपनी शराफत न छोड़ें। सज्जनता हमारी संपदा है, वह हमारे स्वभाव का अंग है।

चौथा गुण है-मितव्ययिता। पैसा कमाना समझदारी हो सकती है, लेकिन सब से ज्यादा समझदारी उस पैसे को खर्च करने में है। जब हम बेहिसाब पैसा खर्च करते हैं, तो उसके बदले में अनेक बुराइयां, विलासिता और र्दुव्‍यसन भी खरीद लेते हैं। पैसा इस तरह से खर्च होना चाहिए, जिससे हमारा हित होता हो, हमारे बच्चों का हित होता हो, समाज का हित होता हो। जब हम नासमझी के साथ खर्च करते हैं, तो कर्जदार बन जाते हैं। इस स्थिति में कुछ लोग रिश्वतखोर और बेईमान भी हो सकते हैं। मितव्ययिता का सूत्र सादा जीवन उच्च विचार है।

अपने परिवार में ‘उदार सहकारिता’ के पांचवें सूत्र को स्थान दें। घर-परिवार में एक-दूसरे का सहकार हो, ऐसा नहीं कि खाना खाया और भागे। बड़ा बेटा, छोटे बेटे की सहायता करे, उसे पढ़ाई में मदद करें। परिवार के छोटे सदस्य बड़ों का सम्मान करें। हम परिवार में ऐसे न रहें जैसे सराय या होटल में मुसाफिर रहते हैं। रात को सोएं, सुबह नाश्ता खाकर चल दिए। हमारा परिवार ऐसा नहीं होना चाहिए। इस में सहकारिता, एक-दूसरे की सेवा जुड़ी रहनी चाहिए। परिवार में जब सब सदस्यों की भागीदारी होती है, तो परिवार में एक सुखद समृद्ध वातावरण बनेगा। यदि पंचशील से संबंधित ये गुण अपने कुटुंब में शामिल कर लें, तो समङों कि हम जीवन-यात्र में सफल हुए।

SK.

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