" मैने नया आत्मविश्वास पाया "


एक व्यपारी अपने व्यापार मे भारी कर्ज में डूब गया था और लेनदार और आपूर्तिकर्ता भुगतान की मांग कर रहे थे . उदास और परेसान पार्क में बैठा था ,और सोच रहा था है कुछ भी करके काश दिवालिया होने से अपनी कंपनी को बचा सकता  .


अचानक एक बूढ़ा आदमी उसे अपने पास आता दिखाई दिया और वाह उसके करीब आकर " पूछा

कुछ " गंभीरता से, लगता है कुछ ऐसा है जो आपको परेशान कर रहा है . बूढ़े आदमी ने कहा , " मैं "क्या आप की मदद कर सकता हु .  उस बूढ़े आदमी ने व्यपारी से उसका नाम पूछा ,और

एक चेक लिखा और उसके हाथ में देकर कहा ,इस चेक को ले लो ठीक एक साल यहाँ मुझसे आकर मिलना " आप उस समय मुझे वापस भुगतान कर सकते हो फिर वह जल्दी से गायब हो गया .व्यापारी ने अपने हाथ में देखा देश के सबसे अमीर आदमीयो  में से एक ने हस्ताक्षर किया हुआ 5,00,0000 का चेक दे दिया जो "उसकी सारी चिंताओं को मिटा सकता हैं.

काफ़ी समय अवाक रहने के बाद " उसने अच्हा महसूस किया और निर्णय लिया जी जान से कार्य  करने का, बिना चेक भुनाये .चेक उसे ताकत दे सकता है अपने व्यवसाय को बचाने के लिए केवल गंभीर मामले में इस का उपयोग करने के लिए उसने सोचा.


बदली हुई सोच के साथ वह बेहतर सौदों पर बातचीत जोश के साथ पुनर्गठन उसने व्यापार मे  पूरा जोश और उत्साह के साथ कड़ाई से काम किया कई बड़े सौदों को जोश से निपटाया. कुछ महीनों के भीतर, वह ऋण से उबर गया और .और उसकी बदली हुई सोच ने एक बार फिर से पैसा बनाने की तरफ़ और व्यवसाय को नई उचाई पर पहुचाया .


ठीक एक साल बाद वह बिना भुनाये चेक के साथ पार्क में उसी जगह पहुचा और मन मे सोचता

हुआ की अपनी सफलता की कहानी बतायेगा चेक उन्हे वापस हाथ मे देकर शुक्रिया करेगा इन्तिजार करने लगा. सहमति के अनुसार , बूढ़े आदमी आता दिखाई दिया. लेकिन नर्स के साथ बस मे आता दिखाइ दिया नर्स ने बूढ़े आदमी को पकड़ा हुआ था व्यापारी अपनी खुसी को साझा करने के लिये बस मे ऊपर चला आया और बूढ़े आदमी को पकड़ा और खुशी से लिपटता हुए बोला  मैं बहुत खुश हूँ " नर्स ने उसे अलग करते हुए कहा . "मुझे लगता है कि इसने आपको ज्यादा परेशान नहीं किया गया है उम्मीद है इसी से आप खुश है.


नर्स आगे बोली मानसिक अस्पताल से ये हमेसा भगता है और उन्होंने कहा, " अमीर आदमी है  लोगों को बताता है ,और चेक काट कर देता है ये पागल है यह कह उसे बूढ़े आदमी से दूर कर दिया .हैरान व्यापारी दंग रह गया , वह सोच रहा था ! एक वर्ष के लंबे समय से मै कार्य कर रहा था उसके पीछे पचास लाख रुप्ये थे कि सोच काम कर गयी या कुछ और .


 कहानी का नैतिक :

यह रुप्या (चेक) अपना नहीं था , असली या कल्पना मे लेकिन इस से हमारा जीवन बदल गया. जिसकी कल्पना भी नहीं की . यह हमारी है इसकी कल्पना हमें कुछ भी हासिल करने की शक्ति देती है हम चाहते हैं जो .(मैने नया आत्मविश्वास पाया )

************** ************** शुक्रिया

sk

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