आशा- vote for better india-बेहतर भारत के लिए वोट
आशा- vote for better india-बेहतर भारत के लिए वोट,
आशा शब्द का अर्थ कभी-कभी गलत समझा जाता है हमारी प्रतिदिन कि भाषा में, इस शब्द के पास बहुधा अनिश्चित का संकेत होता है.और इस अनिश्चितता को हम खुद ही हटाना होगा प्रतिष्ठित करना होगा. उदहारण के रूप में,
आज सारी दुनिया जिस मुल्क को, जिस मुल्क की तरक़्क़ी को आदर और सम्मान के साथ देख रही है, वह हिंदुस्तान है. लोग कहते हैं कि हिंदुस्तान में सब कुछ मिलता है, जी हां हमारे पास सब कुछ है.
जी हां, हमारे यहां बेईमानी, भ्रष्टाचार और खुली लूट का यही आलम हैं. इससे पहले कि कोई दूसरा लूट ले. हम ख़ुद ही ख़ुद को लूट रहे हैं.
अवाम सियासत के बीज बोकर हुकूमत की रोटियां सेंकने वाले भ्रष्ट नेताओं का फैसला करना चाहती है. ये गुस्सा एक मिसाल है कि हजारों मोमबत्तियां जब एक मकसद के लिए एक साथ जल उठती हैं तो हिंदुस्तान का हिंदुस्तानियत पर यकीन और बढ़ जाता है.हमारा रास्त्र हमें वोट कि ताकत से लड़ने कि ताकत देता है.
बेईमान सियासत के इस न ख़त्म होने वाले दंगल में अक़ीदत और ईमानदारी दोनों थक कर चूर हो चुके हैं. मगर फिर भी बेईमान नेताओं, मंत्रियों, अफसरों और बाबुओं की बेशर्मी को देखते हुए लड़ने पर मजबूर हैं. बेईमान और शातिर सियासतदानों की नापाक चालें हमें चाहे जितना जख़्मी कर जाएं. हम अपने वोट से उसे परास्त करने का माद्दा रखते है
महंगाई, ग़रीबी, भूख और बेरोज़गारी जैसे अहम मुद्दों से रोज़ाना और लगातार जूझती देश की अवाम के सामने भ्रष्टाचार इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा और सबसे खतरनाक बीमारी है. अगर इस बीमारी से हम पार पा गए तो यकीन मानिए सोने की चिड़िया वाला वही सुनहरा हिंदुस्तान एक बार फिर हम सबकी नजरों के सामने होगा. पर क्या ऐसा हो पाएगा? क्या आप ऐसा कर पाएंगे? जी हां, क्योंकि सिर्फ क्रांति की मशालें जला कर, नारे लगा कर, आमरण अनशन पर बैठ कर या सरकार को झुका कर आप भ्रष्टाचार की जंग नहीं जीत सकते. इस जंग को जीतने के लिए खुद आपका बदलना जरूरी है. क्योंकि भ्रष्टाचार और बेईमानी को बढ़ावा देने में आप भी कम गुनहगार नहीं हैं.इसके लिए वोट देना जरुरी है बहुत जरुरी है.
मंदिर में दर्शन के लिए, स्कूल अस्पताल में एडमिशन के लिए, ट्रेन में रिजर्वेशन के लिए, राशनकार्ड, लाइसेंस, पासपोर्ट के लिए, नौकरी के लिए, रेड लाइट पर चालान से बचने के लिए, मुकदमा जीतने और हारने के लिए, खाने के लिए, पीने के लिए, कांट्रैक्ट लेने के लिए, यहां तक कि सांस लेने के लिए भी आप ही तो रिश्वत देते हैं. अरे और तो और अपने बच्चों तक को आप ही तो रिश्वत लेना और देना सिखाते हैं. इम्तेहान में पास हुए तो घड़ी नहीं तो छड़ी.ये हमें खुद से गिरती है इसको ख़त्म करना है और अपने इलेक्शन में योगदान करके देश और साथ में खुद को भी आगे ले जायंगे.
एक बार ठान कर तो देखिए कि आज के बाद किसी को रिश्वत खोर को वोट नहीं देंगे. फिर देखिए ये भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी कैसे खत्म होते हैं.
आंकड़े ये भी बताते हैं कि 1992 से अब तक यानी महज 19 सालों में देश के 73 लाख करोड़ रुपए घोटाले की भेंट चढ़ गए. इतनी बड़ी रकम से हम 2 करोड़ 40 लाख प्राइमरी हेल्थसेंटर बना सकते थे. करीब साढ़े 14 करोड़ कम बजट के मकान बना सकते थे. नरेगा जैसी 90 और स्कीमें शुरू हो सकती थीं. करीब 61 करोड़ लोगों को नैनो कार मुफ्त मिल सकती थी. हर हिंदुस्तानी को 56 हजार रुपये या फिर गरीबी की रेखा से नीचे रह रहे सभी 40 करोड़ लोगों में से हर एक को एक लाख 82 हजार रुपये मिल सकते थे. यानी पूरे देश की तस्वीर बदल सकती थी.
तस्वीर दिखाती है कि भारत गरीबों का देश है. पर दुनिया के सबसे बड़े अमीर यहीं बसते हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो स्विस बैंक के खाते में सबसे ज्यादा पैसे हमारा जमा नहीं होता. आंकड़ों के मुताबिक स्विस बैंक में भारतीयों के कुल 65,223 अरब रुपये जमा है. यानी जितना धन हमारा स्विस बैंक में जमा है, वह हमारे जीडीपी का 6 गुना है.
यह सिलसिला 30 साल तक जारी रह सकता है. यानी देश से गरीबी पूरी तरह दूर हो सकती है.
पर ऐसा हो इसके लिए आपका बदलना जरूरी है. वर्ना चुनाव की मुहिम बेकार चली जाएगी. हर तरफ़ बस एक ही शोर है कि शायद चुनाव आम आदमी के हक़ में एक ऐसा क़ानून बना सके जिसके डर से भ्रष्टाचारी को पसीने आ जाएं. क्योंकि वोट देना जरुरी है.निर्वाचन आयोग , कहते हैं दुनिया कि ऐसी प्रणाली जो मिसाल है.
अगर हम तंग आ चुके समय में किसी एक नाम से पुकारेंगे तो यक़ीनन वह नामचुनाव प्रणाली ही होगा.बहरहाल ये एक ऐसा आंदोलन है जिसकी आवाज़ को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता क्योंकि,
सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना,तड़प का न होना,सब कुछ सहन कर जाना
सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना हमारे सपनों का मर जाना
और उस से भी खतरनाक होता है हमारा वोट न देने जाना
लेकिन हमें यह कहते हुए शर्म भी आती है और अफ़सोस भी होता है कि हमारे पास ईमानदारी नहीं है वोट देने कि ईमानदारी अपने लिए अपने हक़ का इस्तेमाल .अपने हक़ का इस्तेमाल करो और बदल दो अपनी तक़दीर और देश कि भी जिससे हमारा आज और कल भी अच्छा हो आशा है आप वोट फॉर बेटर इंडिया का नारा बुलंद करेंगे और अच्छे नागरिक का फ़र्ज़ अदा करेंगे जय हिन्द.
SK.
आशा शब्द का अर्थ कभी-कभी गलत समझा जाता है हमारी प्रतिदिन कि भाषा में, इस शब्द के पास बहुधा अनिश्चित का संकेत होता है.और इस अनिश्चितता को हम खुद ही हटाना होगा प्रतिष्ठित करना होगा. उदहारण के रूप में,
आज सारी दुनिया जिस मुल्क को, जिस मुल्क की तरक़्क़ी को आदर और सम्मान के साथ देख रही है, वह हिंदुस्तान है. लोग कहते हैं कि हिंदुस्तान में सब कुछ मिलता है, जी हां हमारे पास सब कुछ है.
जी हां, हमारे यहां बेईमानी, भ्रष्टाचार और खुली लूट का यही आलम हैं. इससे पहले कि कोई दूसरा लूट ले. हम ख़ुद ही ख़ुद को लूट रहे हैं.
अवाम सियासत के बीज बोकर हुकूमत की रोटियां सेंकने वाले भ्रष्ट नेताओं का फैसला करना चाहती है. ये गुस्सा एक मिसाल है कि हजारों मोमबत्तियां जब एक मकसद के लिए एक साथ जल उठती हैं तो हिंदुस्तान का हिंदुस्तानियत पर यकीन और बढ़ जाता है.हमारा रास्त्र हमें वोट कि ताकत से लड़ने कि ताकत देता है.
बेईमान सियासत के इस न ख़त्म होने वाले दंगल में अक़ीदत और ईमानदारी दोनों थक कर चूर हो चुके हैं. मगर फिर भी बेईमान नेताओं, मंत्रियों, अफसरों और बाबुओं की बेशर्मी को देखते हुए लड़ने पर मजबूर हैं. बेईमान और शातिर सियासतदानों की नापाक चालें हमें चाहे जितना जख़्मी कर जाएं. हम अपने वोट से उसे परास्त करने का माद्दा रखते है
महंगाई, ग़रीबी, भूख और बेरोज़गारी जैसे अहम मुद्दों से रोज़ाना और लगातार जूझती देश की अवाम के सामने भ्रष्टाचार इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा और सबसे खतरनाक बीमारी है. अगर इस बीमारी से हम पार पा गए तो यकीन मानिए सोने की चिड़िया वाला वही सुनहरा हिंदुस्तान एक बार फिर हम सबकी नजरों के सामने होगा. पर क्या ऐसा हो पाएगा? क्या आप ऐसा कर पाएंगे? जी हां, क्योंकि सिर्फ क्रांति की मशालें जला कर, नारे लगा कर, आमरण अनशन पर बैठ कर या सरकार को झुका कर आप भ्रष्टाचार की जंग नहीं जीत सकते. इस जंग को जीतने के लिए खुद आपका बदलना जरूरी है. क्योंकि भ्रष्टाचार और बेईमानी को बढ़ावा देने में आप भी कम गुनहगार नहीं हैं.इसके लिए वोट देना जरुरी है बहुत जरुरी है.
मंदिर में दर्शन के लिए, स्कूल अस्पताल में एडमिशन के लिए, ट्रेन में रिजर्वेशन के लिए, राशनकार्ड, लाइसेंस, पासपोर्ट के लिए, नौकरी के लिए, रेड लाइट पर चालान से बचने के लिए, मुकदमा जीतने और हारने के लिए, खाने के लिए, पीने के लिए, कांट्रैक्ट लेने के लिए, यहां तक कि सांस लेने के लिए भी आप ही तो रिश्वत देते हैं. अरे और तो और अपने बच्चों तक को आप ही तो रिश्वत लेना और देना सिखाते हैं. इम्तेहान में पास हुए तो घड़ी नहीं तो छड़ी.ये हमें खुद से गिरती है इसको ख़त्म करना है और अपने इलेक्शन में योगदान करके देश और साथ में खुद को भी आगे ले जायंगे.
एक बार ठान कर तो देखिए कि आज के बाद किसी को रिश्वत खोर को वोट नहीं देंगे. फिर देखिए ये भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारी कैसे खत्म होते हैं.
आंकड़े ये भी बताते हैं कि 1992 से अब तक यानी महज 19 सालों में देश के 73 लाख करोड़ रुपए घोटाले की भेंट चढ़ गए. इतनी बड़ी रकम से हम 2 करोड़ 40 लाख प्राइमरी हेल्थसेंटर बना सकते थे. करीब साढ़े 14 करोड़ कम बजट के मकान बना सकते थे. नरेगा जैसी 90 और स्कीमें शुरू हो सकती थीं. करीब 61 करोड़ लोगों को नैनो कार मुफ्त मिल सकती थी. हर हिंदुस्तानी को 56 हजार रुपये या फिर गरीबी की रेखा से नीचे रह रहे सभी 40 करोड़ लोगों में से हर एक को एक लाख 82 हजार रुपये मिल सकते थे. यानी पूरे देश की तस्वीर बदल सकती थी.
तस्वीर दिखाती है कि भारत गरीबों का देश है. पर दुनिया के सबसे बड़े अमीर यहीं बसते हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो स्विस बैंक के खाते में सबसे ज्यादा पैसे हमारा जमा नहीं होता. आंकड़ों के मुताबिक स्विस बैंक में भारतीयों के कुल 65,223 अरब रुपये जमा है. यानी जितना धन हमारा स्विस बैंक में जमा है, वह हमारे जीडीपी का 6 गुना है.
यह सिलसिला 30 साल तक जारी रह सकता है. यानी देश से गरीबी पूरी तरह दूर हो सकती है.
पर ऐसा हो इसके लिए आपका बदलना जरूरी है. वर्ना चुनाव की मुहिम बेकार चली जाएगी. हर तरफ़ बस एक ही शोर है कि शायद चुनाव आम आदमी के हक़ में एक ऐसा क़ानून बना सके जिसके डर से भ्रष्टाचारी को पसीने आ जाएं. क्योंकि वोट देना जरुरी है.निर्वाचन आयोग , कहते हैं दुनिया कि ऐसी प्रणाली जो मिसाल है.
अगर हम तंग आ चुके समय में किसी एक नाम से पुकारेंगे तो यक़ीनन वह नामचुनाव प्रणाली ही होगा.बहरहाल ये एक ऐसा आंदोलन है जिसकी आवाज़ को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता क्योंकि,
सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना,तड़प का न होना,सब कुछ सहन कर जाना
सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना हमारे सपनों का मर जाना
और उस से भी खतरनाक होता है हमारा वोट न देने जाना
लेकिन हमें यह कहते हुए शर्म भी आती है और अफ़सोस भी होता है कि हमारे पास ईमानदारी नहीं है वोट देने कि ईमानदारी अपने लिए अपने हक़ का इस्तेमाल .अपने हक़ का इस्तेमाल करो और बदल दो अपनी तक़दीर और देश कि भी जिससे हमारा आज और कल भी अच्छा हो आशा है आप वोट फॉर बेटर इंडिया का नारा बुलंद करेंगे और अच्छे नागरिक का फ़र्ज़ अदा करेंगे जय हिन्द.
SK.
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