ऐसे सितारे जिसका कोई नाम नहीं STAR*********

एक समय कि बात है सुदूर अन्तः गाव में एक परिवार रहता था नाम था निर्मल - शांति.बारिश के मौसम में कुछ साधू अचानक उनके घर आ गए , बारिश के कारण वह आज काम पर नही जा सके, ओर घर पर खाना भी काफी नही था , निर्मल ने अपनी पत्नी शांति से पूछा , " क्या कोई दुकानदार कुछ आटा -दाल हमें उधार दे देगा , जिसे हम बाद में  चूका देगे " पर एक गरीब को भला कौन उधार देता जिसकी कोई अपनी निशिचत आय भी नही थी.शांति सामान लेने गई पर सभी ने नकद पैसे मांगे. आखिर एक दुकानदार ने उधार देने के लिए उसके सामने एक शर्त रखी , वह एक रात उसके साथ बिताएगी , इस शर्त पर शांति को बहुत बुरा तो लगा , लेकिन वह खामोश रही,,, जितना आटा-दाल उन्हें चाहिए था, दुकानदार ने दे दिया, जल्दी से घर आकर शांति ने खाना बनाया , ओर जो दुकानदार से बात हुई थी अपने पति को बता दी ,, रात होने पर निर्मल ने शांति से  कहा की दुकानदार का क़र्ज़ चुकाने का समय आ गया है , साथ में यह भी कहा की चिंता मत करना , सब ठीक हो जाएगा, जब वह तैयार हो कर जाने लगी,निर्मल बोले क़ि बारिश हो रही है ओर गली कीचड़ से भरी है , तुम कम्बल ओढ़ लो , मै तुमे कंधे पर उठाकर ले चलता हू,,, जब दोनों दुकानदार के घर पर पहुचे , शांति अन्दर चली ओर निर्मल दरवाजे के बाहर उसका इंतज़ार करने लगे,,, शांति को देखकर दुकानदार बहुत खुश हुआ ,,, पर जब उसने देखा की बारिश के बावजूद न लोई के कपडे भीगे है ओर ना पाँव , तो उसे बहुत हैरानी हुई , उसने पूछा " यह क्या बात है क़ि कीचड़ से भरी गली में से तुम आई हो , फिर भी तुमारे पावो पर कीचड़ का एक दाग भी नही , तब शांति  ने जवाब दिया " इसमें हेरानी की कोई बात नही , मेरे पति मुझे कम्बल ओढा कर अपने कंधे पर बिठाकर यहाँ पर लाये है ... यह सुनकर दूकानदार बहुत दंग रह गया, शांति का निर्मल ओर निष्पाप चेहरा देखकर वह बहुत प्रभावित हुआ ओर अविश्वास से उसे देखता रहा, जब शांति ने कहा की उसे पति वापस ले जाने के लिए बाहर इंतज़ार कर रहे है तो दुकानदार को अपनी नीचता ओर निर्मल की महानता को देख-देख कर आत्म ग्लानि हुई और वोह शर्म से पानी-पानी हो गया , उसने दोनों से घुटने टेक कर क्षमा मांगी , निर्मल ने उसको क्षमा कर दिया ओर दुकानदार , निर्मल शांति के दिखाए हुए मार्ग पर चल पड़ा जो कि था परमार्थ का मार्ग था,  भटके हुए जीवो को सही रास्ते पर लाने के लिए निर्मल शांति जैसे लोगो के जो कि संत के सामान है के  अपने ही तरीके होते है जो कि सिद्धभूमि भारत में सुदूर तक बसती है जिसका कोई नाम नहीं .

" संत ने छोड़े संतई चाहे कोटिक मिले असंत ,
चन्दन विष व्यामत नही लिपटे रहत भुजंग "

पूर्ण संत हर काल में मैल ओर विकारो को हटाने और तत्त्व  के ज्ञान की कृपादर्ष्टि करते है ऐसे सितारे जिसका कोई नाम नहीं .

sk

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