घबराइये मत ! जब आत्मविश्वास कमजोर पड़ने लगे

ईश्वर ने बदलाव तक पहुंचने का रास्ता जानबूझ कर इतना मुश्किल बनाया है, ताकि जिस व्यक्ति में सचमुच अपने भीतर बदलाव लाने की इच्छा हो, वही पहुंच पाए।

अगर व्यक्ति का आत्मविश्वास कमजोर हो तो उसे सबसे पहले अपनी समस्या पहचान कर हल करने की दिशा में कोशिश करनी चाहिए। कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं होता। कुछ न कुछ कमी हम सब में होती है, कुछ लोग अपनी इन कमियों को दूर कर लेते है ऐसे लोगों को जिंदगी के साथ एडजस्टमेंट में कोई खास परेशानी नहीं होती। दिक्कत तब आती है, जब कोई व्यक्ति अपनी कमियों में सुधार लाने की कोशिश नहीं करता और सिर्फ उनके बारे में सोचता रहता है। ऐसे लोगों के आत्मविश्वास में तेजी से कमी आती है।

जिन लोगों का दृष्टिकोण नकारात्मक होता है, वे पहली बार में पूरे विश्वास के साथ खुद से काम पूरा करने का वादा नहीं कर पाते। ऐसे लोगों को शुरू से खुद से यह कहना चाहिए, 'यह काम मैं करके देखता/देखती हूं..हो सकता है कि सफलता मिल जाए।

हर इंसान में आत्मविश्वास की कमी के कारण अलग-अलग होते हैं और सभी में इसका स्तर भी समान नहीं होता। इसलिए ऐसे लोगों को उनकी समस्या के स्वरूप और उसकी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए धैर्य का साथ न छोड़ें। अपने प्रयासों को कई छोटे चरणों में बांटते हुए आगे बढ़ें। अगर आपको दूसरों से नजरें मिला कर बातें करने में घबराहट होती है तो सबसे पहले शीशे के सामने खड़े होकर खुद से नजरें मिलाकर बातें करने की कोशिश करनी चाहिए। अगर किसी को अपने रंग-रूप को लेकर हीन भावना हो तो उसे आईने में खुद को निहारते हुए अपने व्यक्तित्व के अच्छे पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करके दिल से यह महसूस करना चाहिए कि 'मैं सुंदर हूं' और बोलते हुए यह वाक्य कई बार दोहराना चाहिए।

ईमानदारी से अपनी अच्छाइयों और दूसरी ओर अपनी खामियों को प्वाइंट्स बनाकर लिखें। फिर क्रमबद्ध ढंग से अपनी कमियां दूर करने और अच्छाइयों को आगे बढ़ाने की कोशिश करें।

सचेत तरी़के से रोजाना यह तय करें कि भले ही कोई जरूरत न हो फिर भी आप चार नए लोगों से बातचीत करेंगे। 'मेरे इस व्यवहार पर दूसरे क्या सोचेंगे?' ऐसी सोच आत्मविश्वास में कमी की बहुत बड़ी वजह बन जाती है।

बार-बार लगता है कि सब कुछ जानने के बाद उनसे यह काम नहीं हो सकता। विफल हुए, तो  छवि खराब होगी। आत्मविश्वास को सफलता की कुंजी मानते हुए कहा अपनी कमजोरियों को पहचानें तथा उन्हें दूर करने की खुद में शक्ति पैदा करें। ये कमजोरियां हमारा खराब स्वास्थ्य, रूप-रंग, पारिवारिक पृष्ठभूमि, रहन-सहन, वजन, गुण, बुरी आदतें, पारिवारिक रहस्य अथवा गरीबी आदि कुछ भी हो सकती हैं। हमें अपनी कमजोरियों की तह में जाकर इनके कारगर समाधान ढूंढ़ने चाहिए। हर व्यक्ति दुर्लभ प्रतिभा को लेकर संसार में आता है। उस नैसर्गिक प्रतिभा से आत्मविश्वास की पूंजी में विस्तार संभव है। व्यवहार विज्ञानियों का मानना है कि यदि हम प्रसन्न मुख से योग व भ्रमण करें, तो खुशियों में वृद्धि होती है।

हंसने से नकारात्मकता समाप्त होती है, दूसरों की प्रशंसा से आप खुद भी प्रशंसित होते हैं, पर्याप्त योग व नींद से आपके व्यवहार में चमत्कार दिखाई देता है। तीसरे व्यक्ति की तरह स्वयं का मूल्यांकन करें। अध्ययन बताते हैं कि तीसरे व्यक्ति की तरह स्वयं का मूल्यांकन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। कामयाबी हासिल करनी है, तो आत्मविश्वास के इस कवच को धारण करना ही होगा।

'सिर्फ पांच मिनिट हरयाली के आँचल में मटर गस्ती कीजिये ,जोगिंग या कोई भी हल्का -फुल्का व्यायाम कीजिये .मानसिक स्वास्थ्य के लिए रामबाण है हरियाली का संसर्ग .आस पास जलधाराएं हों ,नदी नाले तालाब हों फिर तो कहना साथ ,बागीचे में टहल कदमी  मूड एलीवेटर का काम करती है .

आत्म -विशवास ,खुद के वजूद को तस्दीक करने का ,नायाब नुस्खा बनती है 'प्रकृति और उसके उपादान '।अवसाद से मुक्ति के इंतजामात प्रकृति छिपाए है .

मानसिक आरोग्य के एक्स्सर साइज़ का अपना महत्व है .अवसाद की दवा बन सकती है सुबह सवेरे बाग़ -बागीचों ,उपवनों सैर ।

कई अध्ध्यनों से पुष्ट हुआ है ,एक्स्सर -साइज़ मानसिक रोग के खतरे के वजन को घटाती है आप अच्छा महसूस करने लगतें हैं ताज़ा और तंदरुस्त तंदरुस्ती तन की ही नहीं मन की भी ।
अध्धयनों के विश्लेसन में सबसे ज्यादा लाभ उक्त गति विधियों का उन्हें मिला था जो अवसाद ग्रस्त थे (डिप्रेसन की चपेट में थे ),अपेक्षा कृत कम उम्र थे .हालाकि लाभार्थी सभी रहे ।
एक्स्सर साइज़ की पांच मिनिट की आदत ने सेल्फ एस्टीम में इजाफा किया .अवसाद ग्रस्त व्यक्ति खुद को नाकारा ,गैरज़रूरी ,अनुपयोगी ,जीवन को निस्सार मानने समझने लगता है ग्रीन एक्स्सर -साइज़ उसे अपनी ही नजर में आदरणीय बना देती है ।

प्रकृति के संसर्ग का अपना सुख है .प्रकृति का अपना संगीत है उद्वेलन है जो किसी भी प्रकृति से जुड़िये सैर के वक्त .आँख कान दोनों खुले रखिये यही इस अध्धययन का सन्देश है .

नायाब नुस्खा

क्या कभी आपने गौर किया है कि किसी-किसी दिन हम कुछ काम नहीं करते, फिर भी थकान महसूस करते हैं। अगर हां, तो इसका अर्थ है कि उस दिन आपका एनर्जी लेवल बहुत लो होता है।

1.  मोबाइल
मोबाइल हमारी जिंदगी का ऐसा अहम हिस्सा बन गया है कि अगर वह कुछ देर न बजे तो हम व्याकुल हो जाते हैं और चेक करने लगते हैं कि कही वह स्विच ऑफ तो नहीं हो गया है।  वॉल्यूम को कम पर रखना न भूलें।

2. नकारात्मक सोच
ये लोग आपके सहयोगी, पड़ोसी, रिश्तेदार या परिचित या घर के सदस्य कोई भी हो सकते हैं। आप जब भी इनसे मिलते हैं, आपको पता भी नहींचलता और ये आपकी एनर्जी चुरा लेते हैं। आपके कॉन्फिडेंस और सेल्फ एस्टीम को कम कर ये आपको नकारात्मक सोच के एक चक्र में फंसा देते हैं और आपके जीवन में मतभेद व क्रोध निर्मित करते हैं। ऐसे लोगों से पूर्णतया छुटकारा पाना तो असंभव है, पर जितना संभव हो, उनसे संपर्क कम ही रखें। उन्हें अपने जीवन से निकालकर फेंक सकते हैं तो बहुत अच्छा।

3. आपका कंप्यूटर
कंप्यूटर पर काम करने और कुर्सी पर एक ही पॉश्चर पर बैठे रहने से ब्लड-सकरुलेशन बाधित होता है। कंप्यूटर पर लगातार काम किए बिना आपका गुजारा नहीं हैतो हर घंटे के बाद 1 मिनट की एक्सरसाइज करें। कुर्सी पर बैठे-बैठे ही कुर्सी को टेबल से दूर करें, पैरों को शरीर की सीध में लाएं और कंधों को ढीला छोड़ दें।

4. आपका टीवी
शायद आपको मालूम नहीं कि टीवी भी आपकी एनर्जी चुराकर आलसी बना देता है। आप घर पहुंचते हैं और टीवी के सामने बैठना चाहते हैं। आप यह भूल जाते हैं कि टीवी आपको और आलसी बना रहा है। अगर आप हल्की सी झपकी ले लेते हैं या एक्सरसाइज कर लेते हैं या फिर परिवार और बच्चों के साथ समय बिताते हैं तो एनर्जी वापस आ जाएगी।

5. अस्तव्यस्त परिवेश को साफ रखें
एक बिखरा हुआ या गंदा डेस्क या घर आपकी ऊर्जा को चुरा सकता है। इधर-उधर फैला सामान, कबाड़ और गैर जरूरी चीजों से भरा घर, ऑफिस का केबिन या टेबल आपके काम करने की इच्छा को कम करते हैं। बेतरतीब चीजों को देखकर मन में एक झुंझलाहट पैदा होती है और आप थकान महसूस करने लगते हैं। जितना संभव हो अपने आसपास के परिवेश को साफ रखें। इसके लिए वीकएंड रखें।

6. अनहेल्दी फूड
तला, वसायुक्त, अत्यधिक नमक वाले, ज्यादा चीनी वाले खाने का कितना बुरा असर उनके शरीर पर पड़ता है। अनहेल्दी फूड अनेक बीमारियों व मोटापे के अलावा आपकी एनर्जी भी चुरा लेता है और आप डिप्रेशन में भी आ सकते हैं। साबुत अनाज, फल, सब्जियां, मेवे, बींस आदि अपने आहार में शामिल करें।


7. नींद की कमी
नींद हमारे काम की क्वालिटी व क्वांटिटी दोनों पर असर डालती है। इसलिए उसका हमारी क्रिएटिविटी, सजगता, हेल्थ आदि पर भी असर पड़ता है।  सही ढंग से सो पाएंगे तो ज्यादा सोने की आवश्यकता भी महसूस नहीं होगी।

8. डीहाइड्रेशन
आप इतने बिजी हैं कि खाना तो क्या पानी पीने का भी समय नहींनिकाल पा रहे हैं। उसके लिए समय निकालिए, खासतौर पर तब, जब आप बहुत देर से किसी को निर्देश दे रहे हों।

9. क्रोध
क्रोध कुछ ही मिनटों में आपके एनर्जी लेवल को डाउन कर देता है। जब भी क्रोध आए, ध्यान कहीं और लगाने की कोशिश करें और पानी पी लें।

10. अपनी आय से अधिक खर्च करना लगातार आपकी एनर्जी को ड्रेन करता है।

घबराइये मत ! जब आत्मविश्वास कमजोर पड़ने लगे
मुस्कान खुशी है जहां के अंदर एक जगह का पता लगाएं

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