Choose words carefully Always think before speaking /सावधानी से करें शब्दों का चयन हमेशा सोच-समझ कर बोले

सावधानी से करें शब्दों का चयन

      हमेशा सोच-समझ कर बोले




हर बात सोचने की तो होती है, पर हर बात कहने की नहीं होती। इसलिए व्यवहार को प्रभावी बनाने के लिए हमेशा सावधानी से करें। बुद्धिमान सोचकर बोलता है और बुद्धू बोलकर सोचता है और इससे अधिक फर्क नहीं है, बुद्धिमान और बुद्धू में। इसलिए बोलने में अपने शब्दों का चयन सावधानी से करें। सतर्कतापूर्वक करें और सोच-समझ कर बोले। 

जीभ तो आपकी अपनी है और इस पर नियंत्रण भी आपको ही रखना पड़ेगा। हमारी एक जीभ की रक्षा बत्तीस पहरेदार करते हैं, लेकिन जीभ का अगर गलत उपयोग कर लिया तो बत्तीस पहरेदार (दांत) भी संकट में पड़ जाएंगे। 

यह अकेली बत्तीसी को तुड़वा सकती है। इसलिए गलत टिप्पणी न करें और न ही व्यंग्य में अपनी बात को पेश करें। किसी को आप खाने में चार मिठाई भले ही न खिला सकें, लेकिन आपके चार मीठे बोल खाने को जायकेदार बना देंगे। 

एक समय की बात है। एक किसान ने अपने पड़ोसी की खूब निंदा की, अनर्गल बातें उसके बारे में बोली। बोलने के बाद उसे लगा कि उसने कुछ ज्यादा ही कह दिया, गलत कर दिया। वह पादरी के पास गया और बोला- 'मैंने अपने पड़ोसी की निंदा में बहुत उल्टी-सीधी बातें कर दी हैं, अब उन बातों को कैसे वापस लूं?' 

पादरी ने वहां बिखरे हुए पक्षियों के पंख इकट्ठा करके दिए और कहा कि शहर के चौराहे पर डालकर आ जाओ। जब वापस आ गया तो पादरी ने कहा, 'अब जाओ और इन पंखों को वापस इकट्ठा करके ले आओ।' 

किसान गया, लेकिन चौराहे पर एक भी पंख नहीं मिला। सब हवा में तितर-बितर हो चुके थे। किसान खाली हाथ पादरी के पास लौट आया। 

पादरी ने कहा- 'यही जीवन का विज्ञान है कि जैसे पंखों को इकट्ठा करना मुश्किल है, वैसे ही बोली हुई वाणी को लौटाना हमारे हाथ में नहीं है। जिस प्रकार एक बार कमान से निकला तीर वापस कमान में नहीं लौटता, ठीक उसी प्रकार एक बार मुंह से निकले हुए शब्द कभी वापस नहीं लौटाए जा सकते।'

एक नकारात्मक व्यक्तित्व की सबसे बड़ी पहचान यही है कि वह बोलते समय अधिक से अधिक नकारात्मक शब्दो का प्रयोग करता है। इससे उसके जीवन की उमंग और उत्साह के साथ जीवन को देखने का नजरिया भी पता चलता है। जिन शब्दो में जीवन व ऊर्जा है बोलते समय उनका ही प्रयोग करना चाहिए। 

शब्द किसी के लिए प्रेरणा का काम करते हैं तो कई बार हमारे शब्द ही किसी के लिए असफलता का कारण बनते हैं। बोलने से पहले दो बार नहीं चार बार सोचना चाहिए। मजबूत व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता उसे बोलने का कौशल होता है। 


सफलता के लिए बोलिए पर सोच-समझ कर बोलिए। जब हम अकेले होते हैं तब भी और जब किसी के साथ होते हैं तब भी हमें अपने शब्दो पर विचारों पर नियंत्रण रखना चाहिए। लोग हमारे बारे में अंदाजा हमारी वेशभूषा से कम शब्दो से ज्यादा लगाते हैं। 

             

बोलने से पहले शब्दो का चयन जरूरी है। जब हम कुछ गलत बोलते हैं तो ऐसा करने से हमें पछताने के अलावा कुछ मिलने वाला नहीं है। कहते भी हैं कि मुंह से निकलने वाले शब्द व बंदूक से निकली गोली को कोई वापस रोक नहीं सकता।

 एक बार निकल गए तो निकल गए, इसलिए बोलने से पहले सोचना चाहिए। वरना हमेशा पछताते रहेंगे। ऐसे शब्द जो जीवन में रस घोलते हैं। उत्साह बढ़ाते हैं,खुशी देते हैं उसे सब सुनना चाहते हैं सबको अच्छे  लगते हैं ये शब्द जीवन को प्रेरित करते हैं बदलाव का कारण बनते हैं। किसी को गुड़ न दें पर गुड़ जैसी बातें तो करे इसमें आपका क्या जाता है।

जीवन को बदलने वाले शब्द का चयन करें कुछ ऐसा बोलिए इस तरह बोलिए कि जीवन युद्ध में हारा हुआ खिलाड़ी फिर से उठ खड़ा हो गुलामी की जंजीरों को तोडऩे के लिए तैयार हो जाए कुछ नया करने के लिए तैयार हो जाए अपने व दूसरों के जीवन को बदलने के तैयार हो जाए। जिसे सुनकर खुद को भी खुशी मिले व दूसरों को भी हम कड़वा तब बोलते हैं.



जब हमारे मन में कड़वापन होता है। मन की निर्मलता के लिए अपने व्यक्तित्व के लिए अच्छे व मधुर शब्द का ही चयन कीजिए। जीवन को बदलने वाले शब्द का ही चयन कर हम खुद का व दूसरों के व्यक्तित्व का विकास कर सकते है।    


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