संदेह हो तो क्या करें?-What do you suspect?


 आपको पता है कि आपका संदेह हमेशा अच्छी बात पर होता है? आप सच पर संदेह करते हो, झूठ पर कभी संदेह नहीं करते। आप खुशी पर संदेह करते हैं, अवसाद(depression) पर नहीं। अगर आप अवसाद में हो, और आपसे कोई पूछे, "क्या आप अवसाद में हो?" आपको विश्वास होता है कि आप दुखी हो। आप ये नहीं कहते, "शायद।" जब आप खुश होते हैं तो कहते हैं, "मुझे पक्का पता नहीं है कि मैं खुश हूं या नहीं।" हम प्रेम पर संदेह करते हैं। जब कोई कहता है, "मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं।" तो आप कहते हैं, "सच?" अगर कोई कहे, "मैं तुमसे नफ़रत करता हूं।" आप कभी नहीं पूछते, "सच?" हमारा संदेह हमेशा किसी सकरात्मक बात पर होता है। संदेह तो आते हैं, जाते हैं। और संदेह करो। मैं नहीं कहूंगा कि संदेह मत करो। जितना ज़्यादा हो सके, संदेह करो। मैं आपको बताता हूं, संदेह अपने आप छूट जाता है। संदेह टिक नहीं सकता। एक गुरु तो शिष्य को संदेह करने के लिये प्रोत्साहित करेगा। गुरु संदेह को नहीं मिटायेगा। गुरु का काम है संदेह को बढ़ाना ताकि आप खूब पक जाओ और एकदम ठोस हो जाओ। क्योंकि, आज नहीं तो कल आपको संदेह होगा ही। तो बेहतर है कि आज ही संदेह कर लो। जितना हो सके संदेह करो। एक ही संदेह बार बार नहीं आता। अलग अलग संदेह उठते हैं। जब संदेह आये तो उससे कतराओ नहीं। उसके साथ रहो। एक समय आयेगा जब आप बिलकुल ठोस हो जाओगे। इससे आप पहले से ज़्यादा मज़बूत, शक्तिवान, केन्द्रित और ज़िम्मेदार बनोगे। मैं कहूंगा, गुरु के बारे में संदेह हुआ है, आने दो। उस संदेह के साथ पको। संदेह एक ऐसा ईधन है जो मन को पका सकता है। आप देखोगे कि आप संदेह से ज़्यादा ताकतवर हो। आपका विश्वास, आपका सौंदर्य, आपका सच, किसी भी संदेह से सौ गुना ज़्यादा शक्तिशाली है। विश्वास सूरज के समान है। संदेह बादल के समान है। कितने भी बादल हों, सूरज को ज़्यादा देर तक नहीं ढक सकते। संदेह के बादल आते हैं, जाते हैं। हां, किसी किसी दिन बादल ज़्यादा देर रह सकते हैं। उसे रहने दो। अंततः सूरज फिर चमकेगा।

अगर मन खराब हो और भजन मे मन न लगे तो यह गीत गाने की तरह सुने मेरे दिल के करीब भाव ईश्वर के 
अखियों के झरोखों से मैने देखा जो सावरे
तुम दूर नज़र आये, बड़ी दूर नज़र आये
बंद कर के झरोखों को ज़रा बैठी जो सोचने
मन में तुम ही मुस्काए, मन में तुम ही मुस्काए 

एक मन था मेरे पास वो अब खोने लगा है
पाकर तुझे, हाए मुझे कुछ होने लगा है
एक तेरे भरोसे पे सब बैठी हूँ भूल के
यूँ ही उम्र गुजर जाए, तेरे साथ गुजर जाए

जीती हूँ तुम्हे देखके मरती हूँ तुम्हीं पे
तुम हो जहाँ साजन मेरी दुनियाँ है वही पे
दिन रात दुआ माँगे मेरा मन तेरे वास्ते 
कही अपनी उम्मीदों का कोई फूल ना मुरझाए

मैं जब से तेरे प्यार के रंगो में रंगी हूँ 
जगते हुए सोयी रही, नींदो में जगी हूँ 
मेरे प्यार भरे सपने, कही कोई न छीन ले
मन सोच के घबराए, यही सोच के घबरा

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