प्रकृति का भव्य उपहार-Nature 's grand gift
प्रकृति का भव्य उपहार
चलें यहां मान लें कि शहद के खाद्द-पदार्थ के रूप में अनेक गुण हैं कयोंकि प्रकृति के आभार से शहद के रूप में हमें भव्य उपहार दिया है। इसकी पौष्टिकता और औषधी के रूप में कई गुण हैं जो हमें लाभ पहुंचाते हैं। यह सबसे पुराना शुद्ध स्वीटनर है, ईख के आविष्कार के पहले से ही इसका इस्तेमाल हो रहा है। सत्य तो यह है कुछ सौ वर्ष पहले ही रीफाइन्ड शुगर ने शहद की जगह ली है।
स्रोत
शहद चिपचिपा, पारवासी, हल्की, पीली-भूरी रंग की, सुगंधित और स्वाद में मीठी होता है। समय के साथ यह मलिन और क्रिस्टलाइन हो जाता है।
शहद मधुमक्खियों द्वारा जमा किए हुए मधुमक्खी के छत्ते से मिलता है। यह मूलतः फूल के पराग में पाया जाता है, जहाँ से मधुमक्खी चूसकर छत्ते में जमा करती है।
ज़्यादातर शहद मीठा और सुनहरा रंग का तरल होता है। लेकिन कितनों को पता है कि शहद कई प्रकार का होता है, जैसे- लिक्विड हनी जो आसानी से घुल-मिल जाता है और पकाने में इस्तेमाल होता है, विफ्ड हॉनी क्रिस्टलीय रूप में पाया जाता है, कॉम्ब हनी मधुमक्खी के मोम वाले छत्ते से पाया जाता है, दोनों खाने योग्य होते हैं और छत्ते को काटकर विखंडू रूप में शहद को पैक किया जाता है।
शहद का रंग और स्वाद पराग के स्रोत पर निर्भर करता है, जहाँ से मधुमक्खी लाते हैं। शहद का रंग बिल्कुल रंगहीन से लेकर गहरे भूरे रंग का होता है और स्वाद हल्का से लेकर गहरे स्वाद वाला होता है, जो उस कली पर निर्भर करता है, जहाँ से मधुमक्खी मधु चूसती है। कुछ महँगे शहद नारंगी के फूल से, मोथी से, एरिका नामक झाड़ी के विभिन्न प्रकार से, फूल से, मेंहदी से, लैवेंडर से, बबूल और युकलिप्टस से, सेज से मिलता है। शहद का घनापन या गाढ़ापन स्रोत पर निर्भर करता है, जैसे- पौधा, पानी और तापमान जहाँ प्रसंस्करण किया गया है। शहद बहुत पतला भी होता है और सख्त भी- और सफेद से सुनहरा भूरा रंग या काला रंग का भी होता है।
पौष्टिकता
शहद पराग कणों, वाष्पीय तेल, विभिन्न प्रकार का फॉस्फेट, कैल्शियम और आयरन से मिलकर बनता है। इसमें वसा और जल विलेय घटक भी होता है। इसमें विशेष प्रोटीन होता है जो मधुमक्खी द्वारा स्रावित होता है उसके साथ विस्थिति विक्षोभ होता है जो लार के समान होता है और चीनी को स्टार्च में बदलने की क्षमता रखता है। रासायनिक रूप से, मधु मूलतः डेक्ट्रोस और लेवुलोस के मिश्रण से बनता है। सौ ग्राम शहद में 304 कैलोरी, 82 ग्राम कार्बोहाइड्रेट , 5 एम.जी. सोडियम रहता है और प्रोटीन, फैट और कोलेस्ट्रोल बिल्कुल नहीं होता है।
खाद्द के रूप में इस्तेमाल
शहद यूं भी खाया जा सकता है और शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के व्यंजनों में सामग्री के रूप में इसका इस्तेमाल होता है। मीठा और नमकीन दोनों में इस्तेमाल होता है।
बेकिंग में इस्तेमाल करने पर बेक्ड व्यंजन में सिर्फ स्वाद ही नहीं लाता है बल्कि घना और नमीयुक्त बनाता है, और बहुत दिनों तक रह भी जाता है। जब शहद डालकर पका रहे हैं तो ध्यान में रखे कि यह गर्म होने पर कैरामलाइज्ड हो जाता है और महक थोड़ी निकल जाती है।
औषधी के रूप में इस्तेमाल
शहद ताप और ऊर्जा का स्रोत है। बच्चों के लिए शहद में समान मात्रा में नींबू का रस डालकर खिलाने से कफ/ खाँसी का बहुत अच्छा दवा सिद्ध होता है। दमा के रोग से ग्रस्त लोगों को राहत पहुँचाता है। यह दर्द निवारक, रोगाणुरोधक के रूप में, जले हुए जगह पर शहद से उपचार करने पर जल्दी ठीक हो जाता है। यह हज़म करने में मदद करता है और पेट के बिमारी से बचाता है। मधुमेह ग्रस्त रोगी जिन्हें किसी भी तरह का चीनी मना है वे शहद खा सकते हैं। वाणिज्यिक शहद कई प्रकार के स्वाद और महक में पाएं जाते हैं, क्योंकि इसका हल्का महक होता है जबकि सुनहरा शहद का स्वाद थोड़ा कड़ा होता है और गहरे रंग का शहद का महक बहुत ही सख्त होता है और उसी तरह स्वाद भी होता है।
शहद ऊर्जा और ताप का सबसे अच्छा स्रोत है और कार्बोहाइड्रेट को आसानी से हज़म करवा देता है। यह तुरन्त स्फुर्ती प्रदान करता है और कमज़ोर हाज़मे के लिए यह आर्शिवाद स्वरूप है।
एक ग्लास गुनगुने गरम पानी में एक चम्मच ताज़े शहद के साथ आधा नींबु का रस निचोड़कर सुबह पहले पीने से कब्ज़ और हाइपर एसीडीटी का प्रभावकारी निवारक उपचार सिद्ध होता है।
मधु आयरन, कॉपर और मैग्नेशियम से भरपूर होता है और एनिमिया का उपचार करता है और हीमोग्लोबीन और लाल रक्त कण को संतुलित रखने में मदद करता है।
शहद रोगाणुरोधक है, जले हुए भाग को जल्दी ठीक करता है। घाव या ज़ख्म को जल्दी ठीक करता है।
शहद का इस्तेमाल कई कफ मिक्सचर में इस्तेमाल होता है और शहद से गार्गल करने पर कफ में लाभ पहुँचता है।
वृद्धावस्था में शहद शरीर को ऊर्जा और ताप प्रदान करता है।
घर में हमेशा दो बोतल शहद रखें। आप कब अपने किचन-शेल्फ में शहद को रख रहे हैं?
स्रोत
शहद चिपचिपा, पारवासी, हल्की, पीली-भूरी रंग की, सुगंधित और स्वाद में मीठी होता है। समय के साथ यह मलिन और क्रिस्टलाइन हो जाता है।
शहद मधुमक्खियों द्वारा जमा किए हुए मधुमक्खी के छत्ते से मिलता है। यह मूलतः फूल के पराग में पाया जाता है, जहाँ से मधुमक्खी चूसकर छत्ते में जमा करती है।
ज़्यादातर शहद मीठा और सुनहरा रंग का तरल होता है। लेकिन कितनों को पता है कि शहद कई प्रकार का होता है, जैसे- लिक्विड हनी जो आसानी से घुल-मिल जाता है और पकाने में इस्तेमाल होता है, विफ्ड हॉनी क्रिस्टलीय रूप में पाया जाता है, कॉम्ब हनी मधुमक्खी के मोम वाले छत्ते से पाया जाता है, दोनों खाने योग्य होते हैं और छत्ते को काटकर विखंडू रूप में शहद को पैक किया जाता है।
शहद का रंग और स्वाद पराग के स्रोत पर निर्भर करता है, जहाँ से मधुमक्खी लाते हैं। शहद का रंग बिल्कुल रंगहीन से लेकर गहरे भूरे रंग का होता है और स्वाद हल्का से लेकर गहरे स्वाद वाला होता है, जो उस कली पर निर्भर करता है, जहाँ से मधुमक्खी मधु चूसती है। कुछ महँगे शहद नारंगी के फूल से, मोथी से, एरिका नामक झाड़ी के विभिन्न प्रकार से, फूल से, मेंहदी से, लैवेंडर से, बबूल और युकलिप्टस से, सेज से मिलता है। शहद का घनापन या गाढ़ापन स्रोत पर निर्भर करता है, जैसे- पौधा, पानी और तापमान जहाँ प्रसंस्करण किया गया है। शहद बहुत पतला भी होता है और सख्त भी- और सफेद से सुनहरा भूरा रंग या काला रंग का भी होता है।
पौष्टिकता
शहद पराग कणों, वाष्पीय तेल, विभिन्न प्रकार का फॉस्फेट, कैल्शियम और आयरन से मिलकर बनता है। इसमें वसा और जल विलेय घटक भी होता है। इसमें विशेष प्रोटीन होता है जो मधुमक्खी द्वारा स्रावित होता है उसके साथ विस्थिति विक्षोभ होता है जो लार के समान होता है और चीनी को स्टार्च में बदलने की क्षमता रखता है। रासायनिक रूप से, मधु मूलतः डेक्ट्रोस और लेवुलोस के मिश्रण से बनता है। सौ ग्राम शहद में 304 कैलोरी, 82 ग्राम कार्बोहाइड्रेट , 5 एम.जी. सोडियम रहता है और प्रोटीन, फैट और कोलेस्ट्रोल बिल्कुल नहीं होता है।
खाद्द के रूप में इस्तेमाल
शहद यूं भी खाया जा सकता है और शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के व्यंजनों में सामग्री के रूप में इसका इस्तेमाल होता है। मीठा और नमकीन दोनों में इस्तेमाल होता है।
बेकिंग में इस्तेमाल करने पर बेक्ड व्यंजन में सिर्फ स्वाद ही नहीं लाता है बल्कि घना और नमीयुक्त बनाता है, और बहुत दिनों तक रह भी जाता है। जब शहद डालकर पका रहे हैं तो ध्यान में रखे कि यह गर्म होने पर कैरामलाइज्ड हो जाता है और महक थोड़ी निकल जाती है।
औषधी के रूप में इस्तेमाल
शहद ताप और ऊर्जा का स्रोत है। बच्चों के लिए शहद में समान मात्रा में नींबू का रस डालकर खिलाने से कफ/ खाँसी का बहुत अच्छा दवा सिद्ध होता है। दमा के रोग से ग्रस्त लोगों को राहत पहुँचाता है। यह दर्द निवारक, रोगाणुरोधक के रूप में, जले हुए जगह पर शहद से उपचार करने पर जल्दी ठीक हो जाता है। यह हज़म करने में मदद करता है और पेट के बिमारी से बचाता है। मधुमेह ग्रस्त रोगी जिन्हें किसी भी तरह का चीनी मना है वे शहद खा सकते हैं। वाणिज्यिक शहद कई प्रकार के स्वाद और महक में पाएं जाते हैं, क्योंकि इसका हल्का महक होता है जबकि सुनहरा शहद का स्वाद थोड़ा कड़ा होता है और गहरे रंग का शहद का महक बहुत ही सख्त होता है और उसी तरह स्वाद भी होता है।
शहद ऊर्जा और ताप का सबसे अच्छा स्रोत है और कार्बोहाइड्रेट को आसानी से हज़म करवा देता है। यह तुरन्त स्फुर्ती प्रदान करता है और कमज़ोर हाज़मे के लिए यह आर्शिवाद स्वरूप है।
एक ग्लास गुनगुने गरम पानी में एक चम्मच ताज़े शहद के साथ आधा नींबु का रस निचोड़कर सुबह पहले पीने से कब्ज़ और हाइपर एसीडीटी का प्रभावकारी निवारक उपचार सिद्ध होता है।
मधु आयरन, कॉपर और मैग्नेशियम से भरपूर होता है और एनिमिया का उपचार करता है और हीमोग्लोबीन और लाल रक्त कण को संतुलित रखने में मदद करता है।
शहद रोगाणुरोधक है, जले हुए भाग को जल्दी ठीक करता है। घाव या ज़ख्म को जल्दी ठीक करता है।
शहद का इस्तेमाल कई कफ मिक्सचर में इस्तेमाल होता है और शहद से गार्गल करने पर कफ में लाभ पहुँचता है।
वृद्धावस्था में शहद शरीर को ऊर्जा और ताप प्रदान करता है।
घर में हमेशा दो बोतल शहद रखें। आप कब अपने किचन-शेल्फ में शहद को रख रहे हैं?
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