परमात्मा का साथ**** With God

परमात्मा का साथ 
गुरुकुल में पढ़ रहा एक ब्रह्मचारी बोधायन जंगल से लकड़ियां चुन रहा था कि तभी उसने एक लोमड़ी को देखा, जिसके पैर नहीं थे, लेकिन वह पूरी तरह स्वस्थ थी। उसे आश्चर्य हुआ कि यह जिंदा कैसे है। वह अपने ख्यालों में खोया हुआ था कि अचानक उसने देखा कि शेर आ रहा था। वह एक ऊंचे पेड़ पर चढ़ गया, और वहीं से देखने लगा। शेर ने हिरण का शिकार किया और उसे अपने जबड़े में दबाकर लोमड़ी की तरफ बढ़ने लगा। पर उसने लोमड़ी पर हमला नहीं किया, बल्कि उसके सामने भी मांस के कुछ टुकड़े डाल दिए।
यह तो और भी बड़ा आश्चर्य है, लोमड़ी को मारने के बजाय शेर उसे भोजन दे रहा है, ब्रह्मचारी बुदबुदाया।
वह अगले दिन फिर वहीं आया और छिपकर देखने लगा। उस दिन भी शेर ने अपने शिकार का कुछ हिस्सा लोमड़ी के सामने डाल दिया। यह भगवान के होने का प्रमाण है! बोधायन ने खुद से कहा, वह जिसे पैदा करता है, उसके पेट भरने का भी इंतजाम कर देता है। आज से इस लोमड़ी की तरह मैं भी ऊपर वाले की दया पर जीऊंगा, ऐसा सोचते हुए वह एक पेड़ के नीचे बैठ गया।
पहला दिन बीता, वहां कोई नहीं आया। दूसरे दिन कुछ लोग उधर से गुजर गए, पर बोधायन की तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। कुछ और दिन बीते, पर उसे भोजन नहीं मिला। वह काफी कमजोर हो गया। संयोग से एक महात्मा उधर से गुजरे। बोधायन का हाल देखकर वह उसके पास पहुंचे। बोधायन ने उन्हें सारी कहानी सुनाई और बोला, अब आप ही बताइए कि भगवान इतने निर्दयी कैसे हो सकते हैं? मैं इस हालत में पहुंच गया और वह ध्यान तक नहीं दे रहे।
बिल्कुल सही है, महात्मा ने कहा, लेकिन तुम यह क्यों नहीं समझे कि भगवान तुम्हें शेर की तरह बनते देखना चाहते थे, लोमड़ी की तरह नहीं!

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