Does your happiness lies in the happiness of others//.दूसरों की खुशी में भी अपनी खुशी निहित होती है।

क्योंकि उसकी आंखों में अपनी छवि दिखती थी
नारसिसस की प्रचलित कहानी यह है कि एक बार वह किसी झील के किनारे बैठकर पानी में अपनी छाया देख रहा था। वह बहुत सुंदर था। अपनी परछाईं देखकर वह खुद में इस कदर खो गया कि सुध-बुध खो बैठा और झील में गिर गया। इससे उसकी मौत हो गई।
कहते हैं कि जिस जगह वह गिरा था, वहां एक सुंदर फूल उगा। उसके झील में डूबकर मर जाने के बाद आसपास रह रही वनदेवियां वहां आईं। उन्होंने देखा कि झील का पानी खारा हो चुका है और तलहटी से किसी के रोने की आवाज आ रही है।
वनदेवियों ने पहचान लिया कि रोने की आवाज आखिर किसकी है। उन्होंने झील से पूछा, तुम क्यों रो रही हो? झील ने कहा, मैं नारसिसस के बारे में सोचते हुए रो रही हूं। यह सुनकर वनदेवियां बोलीं, हम जानते हैं कि नारसिसस के गुजर जाने का तुम्हें बेहद दुख है। तुम हमसे भी ज्यादा दुखी हो। झील चुप होकर वनदेवियों का मुंह देखने लगी। वनदेवियों ने कहना जारी रखा, हमने तो उसे हमेशा दूर से देखा है, जबकि तुमने उसकी सुंदरता को हमेशा करीब से जी भर के निहारा। तुम्हें वाकई उसके गुजर जाने का दुख होगा।
लेकिन, नारसिसस क्या वाकई बहुत सुंदर था?, झील ने पूछा। वनदेवियों को झील की इस बात पर अचरज हुआ। वे बोलीं, यह तुमसे बेहतर भला कौन जान सकता है? तुम्हारे किनारे पर बैठकर ही तो वह पानी में अपनी छवि निहारता रहता था।
यह सुनकर झील कुछ पल चुप रही, फिर बोली, मैं नारसिसस के लिए रोती रही, लेकिन मुझे यह पता नहीं था कि वह सुंदर था। मेरे रोने की वजह तो यह थी कि जब वह किनारे बैठकर मुझे देखता था, तो मुझे उसकी आंखों में अपनी खूबसूरती नजर आती थी।

कभी-कभी हम भूल जाते हैं कि दूसरों की खुशी में भी अपनी खुशी निहित होती है।

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